बगावत नही होती
बगावत नहीं होती!
भगवान की अदालत में वकालत नहीं होती,
किसी के चिल्लाने से कयामत नहीं होती।
जहाँ रहेंगे सच्चरित्र औ पक्के ईमानवाले,
किसी के भड़काने से बगावत नहीं होती।
इतना सीख चुका हूँ मैं इन आबो-हवा से,
किसी से मुझे अब शिकायत नहीं होती।
पैसे का नशा चढ़ा है लोगों पे इस कदर,
अब टूटे आँसुओं पे इनायत नहीं होती।
जवानी के दिन में अगर शरारत न करतीं,
नाजनीनों के अंदर नजाकत नहीं होती।
ख्वाबों-ख्यालों में अगर वो सताती नहीं तो,
करिए यकीन तब मोहब्बत नहीं होती।
रेत के जर्रे से उन आँसुओं को चुन लेंगे,
अगर मेरे दिल में उसकी चाहत नहीं होती।
हरोगे दिल तभी मालूम पड़ेगी वो कीमत,
नाज उठानेवाले को तब हरारत नहीं होती।
जो वक्त खुदा ने तुम्हें दिया है,जाया न करो,
नहीं,तो जहन्नुम जाने की जरूरत नहीं होती।
एक वोट से भी यहाँ गिरा देते हैं सरकार,
कुछ लाभ न होता तो वो सियासत नहीं होती।
रामकेश एम.यादव (कवि,साहित्यकार),मुंबई
Pratikhya Priyadarshini
04-Dec-2022 09:44 PM
Bahut khoob 🌸👌
Reply
Gunjan Kamal
04-Dec-2022 05:14 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
Reply
Sachin dev
04-Dec-2022 10:52 AM
Nice
Reply