यादों के झरोखे भाग २१
डायरी दिनांक ०४/११/२०२२
शाम के चार बजकर पंद्रह मिनट हो रहे हैं ।
आज तीन दिनों बाद नीचे भाई साहब और भाभीजी घर वापस आ गये हैं। इन तीन दिनों में मिक्की पूरी तरह हमारे साथ रही है। उसके लगातार साथ रहने का एक अलग विचित्र ही अनुभव है जिसे अच्छे या बुरे की सीमाओं से बाहर ही रखना उचित रहेगा।
पहली रात को लगभग ११ बजकर तीस मिनट पर वह जग गयी और जबरन नीचे जाने की जिद करने लगी। शायद उसे आशा होगी कि नीचे उसके घर बाले वापस आ गये हों। आखिर उसे नीचे लेकर जाना पड़ा। नीचे भाई साहब का कमरा बंद देख फिर उसने बाहर का ताला खुलबाने का इशारा किया। कुछ देर गली में घूमी। फिर लघुशंका कर वापस आयी। उसके बाद भी उसे ऊपर बड़ी कठिनाई से लाया गया। हालांकि फिर वह रात भर सोती रही।
इन तीन दिनों में मिक्की ज्यादातर उदास रही। बस जब उसे सुबह घुमाने ले जाता था, उसके बाद ज्यादातर अपने बिस्तर में ही छिपी रहती। बहुत कम घूमती फिरती।
मेरी फील्ड की नौकरी है। ऐसे में एक समस्या और भी थी कि बीच में उसे लघुशंका या शौच आदि कराने कौन जायेगा। मम्मी के लिये बार बार सीढियाँ उतरना कठिन होता है। अच्छी बात रही कि मुझे बाहर नहीं जाना पड़ा। लंच आवर में हर दिन घर आकर उसे बाहर घुमा देता। शायद मिक्की ने भी अपने हिसाब से अधिक समझदारी का परिचय दिया। अन्यथा एक पशु के लिये घर में ही गंदगी कर देना कितनी बड़ी बात है।
एक दिन दोपहर में मम्मी कपड़े सुखाने से भी अधिक बाल सुखाने के लिये छत पर चली गयीं। उसके बाद मम्मी के बहुत बार पुकारने पर भी मिक्की वापस नीचे नहीं आयी। वैसे यह मिक्की का आत्मविश्वास था कि वह अकेले ही छत पर रहना चाहती थी और मम्मी का छोटे कद की कुतिया पर अविश्वास कि वह अचानक बंदरों के आ जाने पर अपनी रक्षा नहीं कर पायेगी।
प्रमुख समस्या यह भी थी कि नीचे भाईसाहब के सोने और जगने का समय हमसे अलग है। अब मिक्की को तो उसी समय की आदत है। उसके बाद भी उसने तीन दिन काट लिये। यदि थोड़ा हम परेशान हुए तो थोड़ा तो वह भी परेशान रही होगी।
आज दिन में कई दिनों की थकान का असर हुआ। फिर मम्मी और मुझे दोनों को ही अच्छी नींद आ गयी। अब समझ में आया कि मम्मी कुत्ता पालने से क्यों रोकती हैं। पिछले मकान में जब गली की कुतिया ने पिल्लों को जन्म दिया, उन पिल्लों में से एक पिल्ला मुझे बड़ा अच्छा लगता था। ज्यादातर दूध सा सफेद और सर के पास बहुत हल्का बादामी रंग का। पर मम्मी ने उसे पालने नहीं दिया। सचमुच जब मैं दिन भर फील्ड में रहता हूं तो किसी भी पशु को पालना मम्मी को ही परेशान करना है। खिला पिला देने तक का पशु प्रेम ही बहुत है। उससे अधिक हमारे जैसे एकाकी, फील्ड नौकरी बाले, के लिये संभव नहीं है।
इन नकारात्मक बातों के अलावा मिक्की ने जिस तरह अपने मालिक को याद करा, जिस तरह उनके प्रति अपनी बफादारी का परिचय दिया, उस आधार पर कहा जा सकता है कि जो देखभाल कर पाने में सक्षम हैं, जिनके बाहर ड्यूटी पर जाने के बाद भी घर में पशु की देखभाल के लिये कोई शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति रहता है, उसे कुत्ते पालने में किसी भी तरह का नुकसान नहीं है। हालांकि अधिक आक्रामक प्रजाति के कुत्ते घर में कभी नहीं पालने चाहिये। फिर मिक्की जैसे छोटे इंडियन स्पिट्ज और पामेलियन तो वैसे भी बहुत प्यारे कुत्ते होते हैं। जिन्हें पालना भी आसान है। और उनके खानपान का खर्च भी कम है।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम ।
Peehu saini
06-Dec-2022 07:35 PM
Adwitiya 🌹👏
Reply
Pratikhya Priyadarshini
04-Dec-2022 09:31 PM
Very nice 👍💐
Reply