लेखनी प्रतियोगिता -06-Dec-2022 मौत से कह दो ठहर जा
शीर्षक-मौत से कह दो ठहर जा
विषय-संसार
ऐ मौत तू जरा ठहर जा,
जिंदगी की है नयी पहल,
संसार में रखे हैं अभी कदम।
संसार की मोह माया से हटकर,
वतन के लिए खड़ा रहूं हरदम,
वतन के लिए मिटा दूं अपना सर्वस्व।
ऐ मौत तू ठहर जा।
वतन के लिए है कुछ फर्ज,
वतन के लिए करना है कर्म,
निभाना है अपना धर्म।
ऐ मौत तू ठहर जा
सब कुछ है अधूरा,
भारत माता ने मुझे पुकारा,
धरती माता का है कर्ज चुकाना।
ए मौत अब जरा ठहर जा।
देश की खातिर मुझको है जीना,
दुश्मनों को है धूल चटाना,
अपनी मिट्टी का है ऋण चुकाना।
ए मौत अब तू जरा ठहर जा।
हो जाए मेरे सारे फर्ज पूरे,
कोई ना सपने रहे अधूरे,
फिर मौत तू मेरे पास आना।
हंसते-हंसते जाऊंगा।
चेहरे पर ना होगी शिकन,
ना होगी चिंतन की लकीर,
भारत माता की रज में,
हो मेरा शहीद शरीर।
हे मौत बस तेरे से है यही आरजू,
जब आना जब मैं बुलाऊं,
हंसते-हंसते आंखें बंद कर जाऊं।
लेखिका
प्रियंका भूतड़ा
Shashank मणि Yadava 'सनम'
14-Feb-2023 06:32 AM
बहुत ही बेहतरीन रचना
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Gunjan Kamal
07-Dec-2022 12:01 PM
बहुत खूब
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Punam verma
07-Dec-2022 08:35 AM
Nice
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