Ajain_words

Add To collaction

एहसास


एहसास

अकेला रहना चाहता हूं 
खामोशी मुझे अब अच्छी लगने लगी है

थक गया हूं उम्मीदों को कहते सहते
अब साथ छूटना अच्छा लगने लगा है

भीड़ को हंसा कर देख लिया बहुत मैंने
अब तन्हाई में रोना अच्छा लगने लगा है

कह तो देता हूं हर बात सबसे
अब खुद में खोना अच्छा लगने लगा है

सोचता हूं अकेले ही तो शुरू किया था सब मैंने
तो क्यों साथ की चाहत में करने लगा हुं

जीता तो पहले भी था दिलों को
तो क्यों खुद का दिल अब तोड़ने लगा हुं ।

गंभीर सांसे है मेरी अब
थिरकते लब और खामोश एहसास है 

जबसे मैं खुद के लिए जीने लगा हुं। 

Ajain_words

   19
4 Comments

Punam verma

08-Dec-2022 08:39 AM

Nice

Reply

Abhinav ji

08-Dec-2022 07:49 AM

Very nice👍

Reply

Jannat

08-Dec-2022 07:10 AM

शानदार

Reply