अंधकार पीने वाले
अंधकार पीनेवाले!
किसी के जख्मों पर कोई नमक छिड़कता है,
तो यहाँ मरहम लगाने वाले भी हैं।
कोई हवा को रोने के लिए करता है विवश,
तो फिजा को हँसानेवाले भी हैं।
मत बहा बेकार में तू इन आंसुओं को,
मौत का भी इलाज करनेवाले हैं।
जिन्दगी में उतार-चढ़ाव आना तय है,
डूबती कश्ती को उबारनेवाले हैं।
अकेले नहीं हो मुसीबतों का पहाड़ ढोते,
शाम के हाथों सूरज बेचनेवाले हैं।
बहका देते हैं उजाले को अंधकार पीनेवाले,
यहाँ ख्वाबों को खरीदनेवाले हैं।
घर सजाने की तमन्ना मुझे वर्षो से थी,
मगर मेरे घर का पता बदलनेवाले हैं।
लिबासों में मुझे इंसान जैसे वो दिखते हैं,
मेरी इन हड्डियों से धनुष-बाण बनानेवाले हैं।
कोई भी हमेशा के लिए यहाँ आया नहीं है,
आज हम तो कल वो जानेवाले हैं।
रामकेश एम.यादव (कवि,साहित्यकार),मुंबई
Punam verma
08-Dec-2022 08:33 AM
Very nice
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Abhinav ji
08-Dec-2022 07:45 AM
Very nice👍👍
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Gunjan Kamal
07-Dec-2022 08:00 PM
बहुत खूब
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