मर्डर- एक प्रेम कहानी (ep-7)
पिछले एपिसोड में अपने पढ़ा राज ने अपनी बेगुनाही संजना और उसके पापा के सामने साबित कर दी थी साथ ही संजना को राजीव जैसे धोखेबाज लड़के से बचा लिया। अब संजना के दिल मे राज के लिए को शिकायत नही थी। राज को अंकल और दिव्या ने मना लिया गाने के लिए
अब आगे
राज पूरी तैयारी के साथ आया है।
और वो भी हिंदी के पूर्व रह चुके प्रोफेसर के सपोर्ट से।
राज को एक डर था। झिझक थी। पर प्रोफेसर साहब यानी कि शास्त्री जी ने राज को समझाते हुए कहा।
शास्त्री जी - बेटा अगर अपने पैरों पर खड़ा होना है तो घुटने सीधे तो करने पड़ेंगे। तुम ये सोचो तुम मेरे रियाज कक्ष में हो तुम्हे कोई नही देख रहा है।
राज- ठीक है। मैं पूरी कोशीश में हूँ कि अच्छा परफॉर्म करू। बस दो परफॉर्मर के बाद मेरा नम्बर है।
शास्त्री जी- डरो मत। सब अच्छा होगा ये तुम्हारी पहली सीढ़ी है। ध्यान से चढ़ना इसी में लोग गिरते है। और गिरते संभलते जितनी सीढ़िया चढ़ते रहते है तजुर्बा बढ़ता रहता है।
राज- मैं गाने के लिए नर्वस नही हूँ……… दिव्या अभी तक नही आई। इसलिए।
शास्त्री जी- बस पहुंचती होगी।(राज अंदर चले जाता है जहाँ सारे प्रतियोगी बैठे है। बाहर ऑडियंस में धूम मची है क्योंकि कॉलेज का बेस्ट सिंगर नीरज अभी स्टेज पर है। एंकरिंग करने का मौका शास्त्री जी को ही मिलता है हर साल। उनकी शुद्ध हिंदी और खनकती आवाज साथ मे सेरो शायरी के लिए जाने जाते है।
ऑडियंस की भीड़ में दिव्या भी संजना को लेकर आ पहुंच जाती है।
दिव्या और संजना एक साथ बैठते है।
संजना- नाम तो बता अपने दोस्त का
दिव्या- अरे आ जायेगा। बस इसके बाद उसी का नम्बर है।स्टेज पर गए रहे कलाकार का प्रोग्राम खत्म हुआ
शास्त्री जी माइक पर बोले - बहुत सुंदर परफोर्मेंस मिस्टर नीरज खुराना जी। आप इस कॉलेज के शान हो। आपकी आवाज का जादू हमारी पब्लिक पर ऐसा रहता है कि वो तालियो की गुहार कम नही होने देते। अब मैं ऐसे कलाकार को आमन्त्रित करना चाहता हूँ । जो किसी भी कॉलेज से ताल्लुक नही रखते।
(राज आता है मंच पर..और पब्लिक में ढूंढता है दिव्या और संजना को। उसे वो नजर नही आते जबकि वो मौजूद है। भीड़ इतनी है कि राज को मिलते नही अब राज गाना शुरू करता है। संजना हैरान हो जाती है। राज को देखकर संजना को सबसे पहले याद आता है । जब उसने राज को कहा था कि तुम दिव्या से दोस्ती कर लोगे तो मैं तुमसे दोस्ती कर लूंगी। संजना को दिव्या से दोस्ती करना कुत्ते की पूँछ सीधी करना लगता था क्योंकि उसने सोचा था । जब प्रिंसीपल का लड़का राजीव दिव्या से दोस्ती नही कर पाया तो ये किरायेदार राज क्या करेगा।)
संजना - (दिव्या से बोलती है) ये है तुम्हारा दोस्त
दिव्या- हाँ, क्यो तुम जानती हो इसे।
संजना - हाँ, यही तो हमारा पडोंसी है राज।
दिव्या - वही। जिसको तुमने घर से निकलवा दिया था। वो वाला है क्या।
संजना - इसने कभी बताया नही क्या!
दिव्या - बाद में बात करे। अभी सुनो। कितना अच्छा गाना गाता है मेरा राज।
(राज के गाने के बोल कुछ इस तरह के थे जो गाना लगभग सबने सुना ही होगा, राज की कहानी में ये गाना उसकी पसंद का है,
"""ज़रा सी दिल मे दे जगह तू……
""" जरा सा अपना ले बना……
""जरा सा ख्वाबो में सजा तू………
"जरा सा यादों में बसा………
(ये सांग राज को पूरा याद था और अक्सर इसी को गुनगुनाया करता था संजना के लिए। आज मौका मिला था। उसे सुनाने का, ऑडिएंस kk (सिंगर) की फैन उछल पड़ी। और वो लड़के भी झूमने लगे जो किसी के दिल मे जगह बनाने की कोशिश में लगे थे।)
"'"""मैं चाहुँ तुझको मेरी जाँ बेपनाह……
"""""फिदा हूँ तुझपे मेरी जाँ बेपनाह……
(संजना को कुछ समझ नही आ रहा था। दिव्या भी बदली बदली लग रही थी। संजना वहाँ से उठकर बाहर को जाने लगी। तभी राज की नजर संजना पर पड़ी । संजना जा रही थी दिव्या भी उसके पीछे पीछे जा रही थी उसे रोकने की कोशिश कर रही थी। ।
""""मैं तेरे मैं तेरे ,
"""""कदमो में रख दूँ ये जहाँ………
""""''मेरा इश्क दीवानगी…
"""" है नही... है नही
"""" आशिक़ कोई मुझसा तेरा...
""""तू मेरे लिए बंदगी………
राज ने देखा दोनो बाहर को जा रहे है। राज संजना और दिव्या को बाहर जाते देखते हुए भी उसी जोश में गा रहा था। दूसरी तरफ दिव्या को लग रहा था कि वो गाना उसके लिए है, वो गाने में खुद और राज के समझ रही थी, लेकिन राज का संजना के लिए प्यार कम नही हुआ था भले ही नाराजगी थी। और संजना भी उससे अपनी दिल की बात कहने से डर रही थी, वो बस माफी मांगकर दोस्ती करना चाहती थी।।
"""'कह भी दे कह भी दे………
"""" दिल मे है तेरे जो छुपा……
""" ख्वाहिश है जो तेरी"
""""रख नही रख नही
"""पर्दा कोई मुझसे ए जाँ……
"""""कर ले तू मेरा यकीं
(दिव्या गाना सुनते हुए मन ही मन सोचती है कि शायद राज भी मुझसे प्यार करता है। कह नही पा रहा )
(राज अपना प्रोग्राम खत्म करके दौड़ते हुए गया। उसने देखा संजना और दिव्या प्रोग्राम हॉल से बाहर थोड़ी दूर जाकर बैठे थे। राज भी वहाँ गया।)
दिव्या - सॉरी राज हम बाहर आ गए।
राज - कोई बात नही मैं अच्छा नही गाऊंगा तो जबरदस्ती कौन बैठेगा वहाँ।
दिव्या - नही राज! बहुत अच्छा गाया तुमने। वो संजना को भीड़ भाड़ में घबराहट होती है तो वो बाहर आ गयी।
राज - (संजना की तरफ देखते हुए) जरूरी नही भीड़भाड़ से एलर्जी हो। कुछ लोग हमें देखना भी पसंद नही करते ।
या खुद उठकर चले जाते है। या हमे चलके जाने को मजबूर कर देते है।
संजना- (राज के इशारे को समझते हुए) आपसे सॉरी बोलना था इसलिए रुकी हूँ।
राज- किस बात के लिए माफी मांग रहे है आप
संजना - जो इल्जाम आप पर लगाया था। और थैंक्स भी बोलना है। आप चाहते तो मेरा राजीव का सच पापा को बता सकते थे। पर आपने ऐसा नही किया।
राज - मेरी आदत नही दुसरो के घर मे आग लगाने की। दिव्या - राज क्यो ताना कस रहे हो बार बार । माफी मांग रही है ना वो। और थैंक्स भी बोल रही।
राज - मुझे किसी सॉरी और थैंक्स की जरूरत नही है। संजना - और एक बात और बतानी थी। आपको। पापा ने आपकी मौसी से भी बात कर ली है और गली में सबको बता दिया है कि आपकी गलती नही थी। आप वहाँ दोबारा रहने आ सकते हो।
राज - (हंसते हुए) - गली तो छोड़ ही दो। मैं तो अगर शहर छोड़कर चला जाता तो इस शहर में दोबारा कदम नही रखता। और वैसे भी कल सुबह मैं दिल्ली जा रहा हूँ। चंडीगढ़ से भी जा रहा हूँ।बस आज शास्त्री जी के कहने पर प्रोग्राम के लिए रुक गया था। वरना उसी दिन निकल गया होता जिस दिन मैंने अपनी बेगुनाही साबित कर दी थी।
दिव्या - ये क्या बोल रहे हो राज।
जिस दिन तुम गली छोड़कर आये थे उस दिन भी जिद पकड़ी थी उत्तराखंड जाने की। अब दिल्ली क्यो जा रहे हो। कितनी मुश्किल से रोका तुम्हे।
संजना - (दिव्या की तरफ) तो तुम इसे पहले से जानती हो। और कभी बताया भी नही।
दिव्या - कोशिश की थी संजू। पर मुझे लगा पहले कन्फर्म हो जाउ खुद के फैसले पर।
संजना -फैसला लेने से पहले दोस्तो से पुछना भी जरूरी नही समझा।
दिव्या - तुमने कभी बताया कि तुम राजीव से छिप छिप कर मिलते हो।
संजना- मैं उससे मिलने नही जाती थी। वो मेरे रास्ते मे बार बार आता था और बोलता था किस्मत हमे बार बार मिला रही है। कल फिर मिला था ।
*एक दिन पहले*
- (राजीव रास्ते मे संजना का इंतजार कर रहा था। संजना आती है तो वो उसे रोकते हुए)
राजीव - संजना………… मेरी बात तो सुनो संजना... बस एक मिनेट ..
संजना -(बिना रुके चलते चलते) मुझे कोई बात नही सुननी है। और मेरा पीछा छोड़ दो ।
राजीव- वो सब झूठ है संजना, राज की साजिश है। वो जलता है हमसे।
संजना- वो चिट्ठी तुमने डाली थी हमारे घर मे , मुझे पता चला मैने फिर भी कुछ नही कहा आपको। लेकिन शिला , नेहा, उन सबको भी चिठी। तुम एक नम्बर के धोखेबाज हो। लड़किबाज हो।
राजीव- नही संजना। मैं सिर्फ तुमसे प्यार करता हूँ। वो बस………
संजना - मुझे कोई सफाई नही सुननी है। (संजना चली जाती है)
राजीव- संजना ………तुम गलती कर रही हो बहुत बड़ी। मुझे समझने की कोशिश करो।
(संजना वहाँ से चली जाती है और राजीव भी)
*अब आगे*……
दिव्या - तो तुम्हे क्या लगता है वो सुधर गया है।
संजना - उसका मुझे नही पता । (राज की तरफ इशारा करते हुए) लेकिन राज थैंक्स सो मच तुमने उसकी असलियत मुझे बताई। वरना मैं हमेशा उसके धोके में रहती।
राज- थैंक्स तो दिव्या को बोलो वो भी मुझे गलत समझकर उत्तराखंड जाने से नही रोकती तो मैं ना खुद बेगुनाह बन पाता न ही राजीव की सच्चाई सामने आती। इनकी मदद से मुझे डायरी मिली, राजीव का पता चला। और भी बहुत ज्यादा हेल्प मिली।
दिव्या - कोई बात नही वो तो दोस्ती का फर्ज था। तुम भी मेरे दोस्त थे और संजना भी। अब हम दो से तीन दोस्त हो गए।आप दोनों भी आपस की तकरार भूल जाओ और दोस्ती कर लो।
राज- (राज की सबसे बड़ी टेंशन भी दिव्या ने दूर कर दी। राज तो यही चाहता था) मेंरी तरफ से नो टेंशन बाकी संजना की मर्जी। वैसे इन्हें एतराज तो नही होना चाहिए।
संजना- (मन ही मन मे) तुम नही जानती दिव्या । दोस्ती के हाथ काफी पहले बड़ा चुका है ये बस मेरी हां की जरूरत थी वो भी शर्त पर डिपेंड था जो कि राज जीत चुके हैं।
दिव्या- संजना क्या सोचने लग गयी। दोस्ती मंजूर है। संजना- मुझे कोई प्रॉब्लम नही है।
दिव्या- तो फिर मिलाओ हाथ।
(राज और संजना हाथ मिलाते है। दिव्या ताली बजाती है। उनसे थोड़ी दूर खड़े लड़के पर राज की नजर पड़ती है। उसकी मोबाइल का फ्लेश लाइट ऑन थी राज बोला भाई फ्लैश लाइट जली चार्जर खतम हो जाएगा ।
लड़का- ओह थेंक्स ब्रो। (लड़का फ्लेश ऑफ करता है)
(संजना , दिव्या और राज चले जाते है ,अब दो लोगो की जोड़ी तीन में बदल गयी थी। )
(शाम होती है । राज अंकल जी के घर गया।
दिव्या और अंकल राज को दिल्ली जाने से रोकने की कोशिश करते है। लेकिन राज अपनी प्रॉब्लम बताता है कि उसका ट्रांसफर दिल्ली हो गया और जॉब मेरे लिए बहुत जरूरी है)
शास्त्री अंकल - तो हम आपके लिए जरूरी नही है। हमारी कोई इम्पोर्टेंस नही है।
राज - नही अंकल ऐसी बात नही है। आता रहूंगा मैं । अब आप बताओ बिना जॉब के मैं कैसे रह सकता हूँ।
दिव्या - कोई और जॉब क्यो नही कर लेते।
राज- आजकल इतनी आसानी से जॉब कहा मिलती है। दिव्या- ढूंढो तो सही। चलो मैं अपने पापा से इस बारे में बात करूंगी।
राज- इसकी कोई जरूरत नही है। क्या सोचेंगे वो आपके बारे में और हमारे बारे में।
दिव्या- कुछ नही सोचेंगे।
अंकल - जॉब में दिला दूंगा और वो भी अच्छी जगह। लेकिन मेरे दोस्त मुझे फिर से तन्हा मत कर। अकेले इतने बड़े घर मे न भूख लगती है । ना नींद आती है। मैं बाकी की उम्र भी तन्हा रहु इतनी हिम्मत नही है अब। इन पन्द्र-बीस दिनों में मेरी आदत बिगाड़ दी तुमने। वैसे भी जब सब ठीक हो रहा है तो क्या जरूरत है कही जाने की।
दिव्या- अंकल बिल्कुल ठीक कह रहे है।और अब तुम अंकल के साथ ही रहोगे हमेशा।
राज- चलो जैसी आपकी मर्जी।
अकल- ये हुई न बात।
दिव्या- वैसे एक बार तुम्हे मौसी से भी मिल लेना चाहिए। राज- तुम्हे पता है ना मैं वहाँ नही जा सकता।
अंकल- हाँ लेकिन वो तो यहाँ आ सकते है।
राज- वो नही आएंगे यहाँ । उन्हें पता नही है एड्रेस।
दिव्या -वो यहाँ आ चुके है। राज- क्या। लेकिन कहाँ है। कैसे आये।
अंकल- वो ड्राइंग रूम में है। चलो।
(राज , दिव्या और अंकल ड्रॉइंग रूम में जाते है। तो राज हैरान रह जाता हैं। वहाँ उसकी मौसी, संजना और उसके पापा तीनो बैठे होते है। मौसी उठती है राज के गले लगकर रोने लगती है। और माफी मांगती है। अब संजना के पापा भी माफी मांगते हैं। और रिक्वेस्ट करते है कि घर चल। राज उन्हें बिठाता है चाय कॉफि पिलाता है। )
शास्त्री जी और सँजना के पापा भी बातचीत में रहते है । दिव्या और संजना भी आपस मे बातचीत में लगे रहते है।)
बात बात पर शाम का डिनर वही करने का फैसला सुनाते हुए शास्त्री जी उन्हें रोक लेते है। सब मिलकर डिनर करते है। आपस मे सबके प्रेम भावना और खुशी है।
और अंत फैसला होता है मौसी का और राज को रेडी कर लेते है। लेकिन शास्त्री जी भी कम नही थे उन्होंने भी शर्त रख ली कि हर संडे को पूरा दिन राज यहाँ रहेगा। लास्ट में डिनर के लिए दिव्या के एडवोकेट पापा को भी बुलाते है। सब हंसी मजाक कर के डिनर करते है। राज ने अगले दिन शास्त्री जी के साथ नई जॉब जॉइन करने जाना था। इसलिए वो आज वही रुका बाकी लोग अपने अपने घर चले गए।
(राज एक अच्छे कंपनी में मैनेजर बन गया था। और ये सब दिव्या की बदौलत। अगर वो दिव्या से दोस्ती न करता तो न ही वो गली से निकलने के बाद चंडीगढ़ रुकता न ही शास्त्री जी से मुलाकात होती न शास्त्री जी उसे जॉब पर लगाते। शास्त्री जी के लिए वही एक सहारा बन गया था। और दिव्या के लिए उसकी दोस्ती से बढ़कर कोई दुनिया नही थी।
अगला पड़ाव प्यार मौहब्बत इश्क
अगले एपिसोड में होगा कुछ खास "जी हां- अगले एपिसोड में मर्डर होगा - कौन किसका मर्डर करता है। जिसकी सजा राज भुगत रहा है। आप पढ़ेंगे अगले एपिसोड में...।
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06-Sep-2021 02:59 PM
इंट्रेस्टिंग.... स्टोरी...
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