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लेखनी प्रतियोगिता -09-Dec-2022 "आकाश में टूटते तारों "

    "टूटते हुए तारें


ओ गगन भरे तारों
 सुना है......
तुम्हारे टूटने से. पूर्ण होती है कामनाएं 
तो सुनो.... 
आज बैठी छत की मुंडेर पर
और ताकती..... 
आकाश में भरे उन असंख्य  टिमटिमाते तारों को
और करती इंतज़ार.... 
आज तुममें से कोई एक तारा टूटे
तब मै माँगूं..... 
ओ टूटते हुए तारे... 
मेरी इस ज़मी को भर दे
खुशहाली, अमन और प्यार से
जहाँ धर्म, जाति का कोई वाद - विवाद ना रहे
जहाँ कोई भी मजहब..... 
किसी भी जाति धर्म और  समुदाय पर तंज ना कसे
जहाँ हम सब रह सकें 
अनेकता में एकता बनकर 
एक दूसरे के दिलों में.... 
जलाए प्रेम और करुणा का दिया
आये एक दूसरे के काम..... 
और मिसाल कायम करे प्रेम की ll
ओ टूटते हुए तारें यदि कर सकते हो..... 
तो कर दो इतनी सी ख्वाहिश पूरी मेरी
ओ टूटते तारे मेरे......ll 

अपराजिता..... 






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12 Comments

Pranali shrivastava

10-Dec-2022 07:56 PM

शानदार

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बहुत-बहुत धन्यवाद

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Abhinav ji

10-Dec-2022 09:17 AM

Very nice👍

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Thank you....

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Punam verma

10-Dec-2022 08:14 AM

Very nice

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Thank you....

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