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यादों के झरोखे भाग २६

डायरी दिनांक ०९/१२/२०२२

  शाम के छह बजकर पैंतालीस मिनट हो रहे हैं ।

  अब जिस तरह की स्थिति है, उससे शाम के छह बजकर पैंतालीस मिनट के स्थान पर रात के छह बजकर पैंतालीस मिनट कहना ज्यादा उचित रहेगा। छह बजते से पूर्व ही अंधेरा हो जाता है। इस समय तक की स्थिति तो रात की ही कही जायेगी।

  दिन में दो समय को संध्या काल माना जाता है। एक वह समय जबकि भगवान सूर्य उदय होते हैं। और दूसरा वह समय जबकि भगवान सूर्य अस्त होते हैं। संध्या निश्चित ही दिन और रात के मिलन का समय होता है। वह काल जो कि न तो दिन हो और न रात, संध्या के अंतर्गत माना जाता है।

  भारतीय परंपरा में संध्या काल में भगवान की आराधना का बड़ा महत्व है। वैसे आज की व्यस्त दिनचर्या में कामकाजी लोगों द्वारा संध्या कर पाना संभव नहीं है। फिर भी उचित है कि उस काल में जहाँ कहीं भी हो, मन से बुरे विचारों को दूर कर केवल भगवान का स्मरण किया जाये। यदि भगवान का स्मरण संभव न हो, तब भी विश्व कल्याण के विषय में चिंतन किया जाये। अपने व्यक्तिगत द्वेष आदि के विचारों को मन से दूर किया जाये।

  वास्तव में पूजा आराधना आदि तो मात्र क्रियाएं हैं जिनका उद्देश्य मन को संयमित करना ही है। लगातार अभ्यास से क्रियाएं अपने आप होती रहती हैं जबकि मन पहले की भांति कितनी ही निरर्थक बातों का चिंतन करता रहता है। जाप आदि क्रियाएं बिना विघ्न के पूर्ण होती जाती हैं। पर मन कहीं अन्य स्थल पर विचरण करता रहता है। ऐसा मेरा तो प्रत्यक्ष अनुभव है।

  आज सोरों की तरफ साइट सही करने गया ।फिर जल्द काम से निवृत्त होकर कुछ समय मार्गशीर्ष के मेले में विचरण किया। खरीदा कुछ नहीं। पर ऐसा नहीं था कि वहां उपयोगी वस्तुओं का अभाव था। वास्तव में बहुत सी दैनिक उपयोग की वस्तुएं काफी बाजिद दर से उपलब्ध थीं। क्योंकि मुझे उन वस्तुओं की अभी आवश्यकता नहीं थी, तथा किराये के मकान में अति संग्रह करना उचित भी नहीं है, इसलिये कोई खरीदारी नहीं की। पर एक दुकान पर हलुआ पराठे का लुत्फ लिया।

  आज हम पारंपरिक भोजन से बहुत दूर हो चुके हैं। मौसमी भोजन की अब कोई मान्यता नहीं रही है। मक्का, बाजरा जैसे अन्न हम भूलते जा रहे हैं। मिठाइयों में जलेबी को हीन दृष्टि से देखने लगे हैं। जबकि नितांत सत्य है कि जलेबी, पूरियां, पराठे आदि कभी भी उतना नुकसान नहीं पहुंचाते जितना कि बर्गर, चाऊमीन जैसे फास्ट फूड।

  अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम ।

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2 Comments

Rajeev kumar jha

11-Dec-2022 12:23 PM

बहुत ही सुन्दर

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Pranali shrivastava

10-Dec-2022 07:46 PM

शानदार

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