V.S Awasthi

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प्रेयसी

प्रेयशी
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साथ अगर तेरा मिल जाए तो दिल हो जाए मधुशाला
आंखों से तुम मुझे पिला दो मेरी बन जाओ तुम हाला।।
नयनों के गहरे सागर में गोते मैं रोज लगाता हूं।
गोते तो बहुत लगाता हूं पर राह कभी ना पाता हूं।।
लगता जैसे तुम खुद मदिरा हो नशा देख चढ़ जाता है।
पास अगर तुम आ जाती तो गहरा भी हो जाता है।।
नयन तुम्हारे बड़े नशीले मदिरा फीकी पड़ जाती है।
एक बार जो तुमको देखूं नींद नहीं फिर आती है।।
ख्वाबों में तुम आन बसी हो सपनों में बस आती हो।
पास नहीं आती हो मेरे यादों में बह जाती हो।।
एक बार तुम आकर मेरे दिल में फिर से बस जाओ।
भूल नहीं पाऊं मैं तुमको सांसों में मेरी घुल जाओ।।
अपने हाथों से मुझे पिला दो प्यार जाम का एक प्याला।
साथ अगर तेरा मिल जाए दिल हो जाए मधुशाला।।
स्वरचित:- विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर

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4 Comments

Wahhh Kya कहने जी लाजवाब लाजवाब लाजवाब

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Rajeev kumar jha

11-Dec-2022 12:16 PM

शानदार

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Supriya Pathak

10-Dec-2022 08:54 PM

Bahut achha 💐

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