लेखनी प्रतियोगिता -11-Dec-2022
तन्हाई
तन्हाइयों से घिरे आंचल मे जब वो नज़र आई
उसकी परछाई भी उसे साथ मुझे न रास आई
दूर हुई जब भी वो मुझसे याद उसकी रुसवाई आई
तभी तो उसे अपनी तन्हाई इतनी पसंद आईl
दूर हो के भी मुझे उसकी ये आवारगी न समझ आई
आज जब वो मेरे दिल के करीब आई
तो रुसवा मुझसे हो वो आज बेवफा कहलाई
फिर क्यों वो आज मुझे इतनी याद आई
बन के हमदम कभी थी वो कसमें खाई
कहती थी वो मुझको तुम हो मेरी रूबाई
फिर क्यों आज वो धोखेबाज बन सामने आई
मेरी न हुई तो कुछ नहीं पर न बनी किसी की हमराही
तन्हाइयों से घिरे आंचल में जब वो नज़र आई
टूटा दिल और आंख में आंसू लिए पास चली आई
Punam verma
12-Dec-2022 08:55 AM
Very nice
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Abhinav ji
12-Dec-2022 07:54 AM
Very nice👍
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Mahendra Bhatt
11-Dec-2022 09:29 AM
बहुत ही सुन्दर
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