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यादों के झरोखे भाग २८

डायरी दिनांक ११/१२/२०२२

  शाम के चार बज रहे हैं।

जैसा कि कल बताया था, आज मैं अपने गृहनगर सिरसागंज में आया हुआ हूँ। सिरसागंज में इतने अधिक बदलाव हो रहे हैं कि चार पांच महीनों में ही बहुत ज्यादा अंतर दिखाई देने लगता है। जहाँ पहले खेत थे, वहाँ अब फ्लोटिंग दिखाई दे रही है। जहाँ पहले प्लाट थे, वहाँ मकान दिखाई दे रहे हैं। इस समय मैं नजदीकी गांव हैवतपुर के निकट एक नवीन प्लाटिंग की चारदीवारी पर बैठा हूँ। कभी हैवतपुर गांव वासियों के दूर दूर तक खेत थे जो कि आज विकास की भेंट चढ चुके हैं। मुझे लगता है कि भारत के आगामी दशक की सबसे बड़ी समस्या कृषि प्रधान देश में खेतों की बिलुप्ति होगी। फिर शायद खेतों को संरक्षित किया जायेगा जहाँ घूमने फिरने के लिये भी टिकट देनी होगी। उन खेतों की देखभाल के लिये भी वन विभाग जैसा कोई सरकारी विभाग बनेगा।

  वैसे विश्व में बहुत से देश हैं जहां जरा सी भी कृषि भूमि नहीं है। पर भारतीय लोग जहाँ लोगों का मुख्य भोजन अन्न ही है, के लिये यह गहन चिंता की बात होगी।


  एक कामबाली को बुलाकर घर की साफ सफाई मम्मी करा रही हैं। इसलिये अभी घर में जाना उचित नहीं है। ऐसी स्थिति में बाहर घूमने के अतिरिक्त कोई अन्य चारा भी नहीं है।


  बचपन में इतिहास की पुस्तक में एक न्याय प्रिय बादशाह का उल्लेख पढा था। वह सुल्तान इतना अधिक न्यायप्रिय लिखा था कि वह न्याय के लिये कभी भी अपनों में और पराये में भेद नहीं करता था। पर जिस उदाहरण के द्वारा उसे न्यायप्रिय बताया गया था, उसे बहुत विचार करने के बाद भी न्यायप्रियता जैसी बात दिखाई नहीं देती। यदि सुल्तान का प्रिय सरदार किसी साधारण व्यक्ति की स्त्री को नदी में स्नान करते समय उसपर पान का बीड़ा फेंकता है तो सुल्तान के न्याय के अनुसार जब सरदार की पत्नी नदी में स्नान करेगी, उस समय वह व्यक्ति सरदार की पत्नी पर पान का बीड़ा फेंकें। शायद उस समय मेरी समझ इतनी विकसित नहीं थी। पर आज मैं सोचता हूँ कि यदि यह न्याय है तो अन्याय क्या है। वास्तव में इससे बड़ा अन्याय संसार में हो ही नहीं सकता जबकि एक महिला के शील हरण का प्रतिउत्तर किसी दूसरी महिला के शील हरण से दिया जाये।


   आज ये बकरियां कितनी निश्चिंत होकर चर रहीं हैं। इन्हें क्या पता कि जिस प्लोट को वे चरगाह समझ रहीं हैं, वह कुछ महीनों बाद ऊंची अट्टालिकाओं में बदल जायेगा। उनके चारागाह की जगह लगातार कम होती जा रही है। पर जब हम मनुष्य यह नहीं सोच रहे तो बकरियों से समझने की कैसे उम्मीद की जा सकती है।

अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम ।


  

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2 Comments

Gunjan Kamal

10-Jan-2023 08:22 PM

👏👌🙏🏻

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Rajeev kumar jha

12-Dec-2022 03:36 AM

👌

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