दीनों पर दया दयावान ही करेगा।
जो खुद है पीर से पीड़ित वो पीर क्या हारेगा। 1
मात-पिता को कष्ट दिया और,
तूने मौज उड़ाई।
पुरा पड़ोसी भूखे तेरे ,
तूने रोटी खाई।
खून चूस कर गर गरीब का,
तूने संपत जोड़ी।
कोड़ी कोड़ी पड़े चुकाना,
सोच समझ ले थोड़ी।
तुम उसका ध्यान धरो,
वो तेरा ध्यान धरेगा।
2
तात तुम्हारे घर पर तरसे,
तूने तीर्थ किया है।
धन पाकर के धन दौलत का,
ना हीं दान दिया है।
पत्थर को पकवान परसते ,
भूखों को तरसाया।
दिया ना पानी प्यासे को अरु,
मूरत को दूध चढ़ाया।
ईश्वर को दूध भी ऐसा ,
अपमान ही करेगा।
3
जिसने दी है चोंच चोंच को ,
देता वही निवाला।
तू बंदे अभिमान करे क्यों,
सबका ऊपर वाला।
जो कुछ मिला यहां पर प्यारे,
सत्कर्मों का श्रम है।
साथ न लाए साथ में जाए,
नाहक का यह भ्रम है ।
जो ओछी बुद्धि वाला ,
अभिमान ही करेगा।
4
बेबस हो लाचार गिरा जो,
उसको हाथ लगा दो।
नव विहान में सोये हैं जो,
उनको जरा जगा दो।
सबका हित हो तेरे द्वारा,
जग में यही जता दो ।
मिले विनोदी मूल्यवान क्षण,
सुख से इसे बिता दो।
बस इंसान पर दया,
तो इंसान ही करेगा।
नर तो माफ करे पर ,
ईश्वर न माफ करेगा।
विनोदी महाराजपुर
Suryansh
16-Dec-2022 08:32 AM
बहुत ही सुंदर सृजन
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