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मर्डर- एक प्रेम कहानी (ep-9)

पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा- राज ने अपनी सारी कहानी, आपबीती सुनाता है विक्रम और अंजलि को।
दिव्या का मर्डर होता है और राज पर इल्जाम आता है। और विक्रम का कहना है कि राजीव आस्ट्रेलिया चले गया था मर्डर के एक हफ्ते पहले।

अगले दिन हाई कोर्ट में

(एक तरफ अंजलि और दूसरी तरफ जोशी जी।
जोशी जी अकेले नही थे उनके साथ शास्त्री जी भी थे। और राज की मौसी भी। राज ने शास्त्री जी की तरफ देखा। उनकी आंखों में न तो राज के लिए गुस्सा था। न ही राज  के लिए कोई शिकायत, उनकी नजर में आज भी राज के लिए वही इज्जत थी जो पहले थी । बस शब्दो से कठोर हो गए थे।जोशी जी ने केस शुरू करते हुए। )
जोशी जी- माय लॉर्ड ! कटघरे में खड़ा ये शक्श एक खूनी है इसने एक बेपरवाह बाप के भरोसे को तोड़ा है। और उसकी गैर मौजूदगी  का फायदा उठाकर उसकी लड़की जिसका नाम दिव्या जोशी था उसका खून उसी के घर मे इस तरह किया कि वो एक सुसाइड लगे। पहले उसका गला दबाकर उसे मार दिया फिर उसे पंखे से लटकाया है। 
अंजलि- ऑब्जेक्शन कमय लॉर्ड।
 जज - ऑब्जक्शन वररूल्ड! आप अपना जारी रखे
 जोशी जी - थैंक्यू माय लॉर्ड! तो मैं बोल रहा था कि राज ने दिव्या का खून किया है और इसके अलावा और कोई नही है । जो ये कर सकता है। ये जानता था कि दिव्या उसके और संजना के प्यार के बीच मे आ सकती है। तो राज ने उसे अपने रास्ते से हटाने के लिए उसकी जान ले ली। 
अंजलि - ऑब्जेक्शन माय लार्ड!  बिना किसी सबूत। बिना किसी गवाह के ये मेरे मुअक्किल को जबरदस्ती खूनी करार दे रहे हैं।
 जोशी जी - सबूत भी है और गवाह भी ।
 जज - सबूत पेश किया जाए। 
जोशी जी - ये दिव्या का मोबाइल है। आप देखिए लास्ट कॉल राज को किया था। कॉल डायरेक्शन 0:57:00 मिनट रात 12:07 am और इसके बाद 12:15 am तक उसे मार दिया गया। 
अंजलि- तो इससे क्या पता लगता है। जो फोन पर बात करता है । वो ही खूनी होता है क्या। जज साहब किसी का खून उसका दुश्मन ही करता है। दोस्त नही। राज और दिव्या दोस्त थे । और दिव्या की दुश्मनी थी तो गर्ल कॉलेज के प्रिंसपल के लड़के से थी। क्योंकि दिव्या ने एक बार उसकी डायरी चुराई थी। और राजीव संजना से प्यार करता था। और राज और दिव्या की वजह से राजीव की सच्चाई संजना के सामने आई। तो संजना और  राजीव का ब्रेकप हो गया। इतना ही नही राजीव ने जितनी भी बाकी लड़कियों को प्यार के जाल में फंसाया था। उन सबसे राजीव का  ब्रेकप हो गया था। राजीव बदले की आग में जल रहा था और दिव्या को धमकी दे रहा था अलग अलग नम्बर से कॉल करके।
 जोशी जी-  अंजलि जी। आप शायद भूल रहे हो कि राजीव दिव्या के मर्डर से एक हफ्ता पहले आस्ट्रेलिया चला गया था।
 अंजलि- अपने देखा क्या उसे ऑस्ट्रेलिया जाते हुए।
 जोशी जी- तो आपने देखा क्या उसे मर्डर करते हुए।

(दोनो आपस मे यु ही झगड़ते रहते है। और परेशान होकर जज साहब दोनो को अगली तारीख पर(तीन दिन बाद) ठोस सबूत लाने को कहती है!)

(जोशी जी जितने सख्त कड़क और जोश में कोर्ट में नजर आते थे । उससे कई ज्यादा बिखरे हुए, टूटे हुए घर मे नजर आते थे। बेटी की याद में पल पल रोते थे। उनकी जिंदगी बसती थी दिव्या में। और उनका कोई नही था।)

(जितनी तारीखे बदल रही थी। जोशी जी की तड़प भी बड़ती जा रही थी। वो दिन प्रतिदिन कमजोर पड़ रहे थे। पुलिस भी अपना काम कर रही थी। उन्हें राजीव के खिलाफ कुछ सबूत मिले जिससे साबित हो सकता था । कि राजीव ही असली कातिल है। )

*कोर्ट का लास्ट दिन*

 अंजलि - जज साहब में  कटघरे पर इंस्पेक्टर विक्रम को बुलाकर कुछ सवाल करना चाहती हूं।
"" इजाजत है (जज साहब की कड़कती आवाज)""

(विक्रम आता है) 
अंजलि- इंस्पेक्टर विक्रम आपसे मेरा पहला सवाल है। दिव्या की मौत कैसे हुई। 
विक्रम - गला घोटकर 
अंजलि - गले मे कोई निशान फिंगर प्रिंट वगेरा कुछ। 
विक्रम - नही गले मे कुछ फिंगर प्रिंट नही।और कमरा भी बिखरा हुआ नही था। लेकिन गुलदस्ते में फिंगर प्रिंट मिले है। शायद गुलदस्ता नीचे गिर गया था। वो उठाकर वापस रखा गया था।
 अंजलि - किसके है फिंगर प्रिंट 
विक्रम - किसके तो नही पता अभी । लेकिन राज के भी नही है, दिव्या के भी नही है। जांच चल रही है। हमने राजीव के घर से दो तीन समान मंगाए है जिसे सिर्फ राजीव इस्तेमाल करता था। हो सकता है उसी के हो।
अंजलि- राजीव कहाँ है। 
विक्रम-  राजीव लापता और आस्ट्रेलिया गया ही नही है। उसने ऑनलाइन प्लेन बुक की और बीजा भी बनवा लिया। लेकिन शीट केंसल नही की। हमने पता लगाया कि उस दिन राजीव नाम के लड़के की शीट बुक थी पर वो आया नही। अंजलि- क्या सबूत है। आपके पास की वो ऑस्ट्रेलिया नही गया।
 विक्रम- मैं  एअरपोर्ट के हेड आफिस से उस दिन के सभी यात्रियों की डिटेल लेकर आया हूँ। उस दिन तीन शीट एरोप्लेन की खाली थी जिसमे दो तो एमरजेंसी केंसल हो चुके थे। और एक आया ही नही।  जो नही आया उसकी डिटेल इस फ़ाइल में है।(फ़ाइल देते हुए।) 
अंजलि-  एक आखिरी सवाल विक्रम- जी पूछिये। 
अंजलि- आपने किस आधार पर राज को गिरफ्तार किया ।
 विक्रम- उसके पापा ने केस किया था। 
अंजलि- ठीक है आप जा सकते हो।,
तो माय लॉर्ड पुलिस ने राज को सिर्फ इसी लिए गिरफ्तार किया क्योंकि दिव्या के पापा यानी कि वकील साहब जोशी जी ने उसके खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराई थी।
अब मैं चाहती हूं कि जोशी जी विक्रम से कुछ पूछना चाहे तो पूछ लें। 
जज- जोशी जी आप कुछ पूछना चाहते हो। 
जोशी जी- जी नही। अब जो पूछूंगा फिंगर प्रिंट की रिपोर्ट आने के बाद। 
अंजलि- तो मॉय लार्ड । क्या अब भी आपको लगता है कि राज दोषी है। सच तो ये है कि असली दोषी फरार है। उसे पकड़वाया जाए।
 जज - इस बात का फैसला एक घंटे के ब्रेक के बाद होगा। इंस्पेक्टर विक्रम आप जल्दी रिपोर्ट मंगवा लीजिये।
 विक्रम- जी जज साब।

(विक्रम रिपोर्ट मंगवाता है। और वो फिंगर प्रिंट राजीव के होते है। राज को रिहाई मिल जाती है। और राजीव के एरेस्ट वारंट निकलते है। हर अखबार में, हर पुलिस थाने में उसकी फोटो छप चुकी है। और पुलिस उसे ढूंढने की हरमुमकिन कोशिश कर रही है।)

रिहाई के बाद राज सबसे पहले अंजलि का धन्यवाद करता है)
 राज- आपका थेंक्स कैसे अदा करू। 
अंजली- थैंक्स की कोई बात नही। 
राज- आपकी फीस। देखो न आपने इतनी मेहनत की । और तुम्हे फीस भी नही पूछा। 
अंजलि- मुझे मेरी फीस मिल चुकी है। 
राज- वो  कैसे। 
अंजलि- जिस दिन दिव्या की डैथ हुई उसके 3 दिन बाद शास्त्री जी मेरे पास आये।

( शास्त्री जी और अंजलि ) 
शास्त्री जी- राज पर केस जबरदस्त लगा है। मेरा बेटा नही है वो मेरे बेटे से भी बढ़कर है। मुझे खुद से ज्यादा उसपर भरोसा है। 
अंजलि- तो आप उसके खिलाफ क्यो खड़े हो। जबकि इस वक़्त उसे सबसे ज्यादा जरूरत है अपनो की। 
शास्त्री जी- मैं उसके खिलाफ नही खड़ा हूँ। लेकिन जोशी जी को भी किसी सहारे की जरूरत है। वो एकदम अकेले हो गए है। टूट गए है। ऐसे में उनको राज से ज्यादा साथ कि जरूरत है। अंजलि- तो आपको ऐसा क्यों लगता है कि राज ने उसका खून नही किया । हो सकता है किया हो। 
शास्त्री जी- नही कर सकता, दिव्या के लिए उसके दिल मे प्यार और इज्जत दोनो थी और दिव्या खुद को उसके साथ सुरक्षित महसूस करती थी । उस रात को वो राज से रिक्वेस्ट कर रही थी। कि आज उसे अकेला न छोड़े। डरी हुई सी थी । बार बार राज को यही बोल रही थी कि रुक जाओ, लेकिन अपने अंदर के डर को छिपाती रही। हमको कुछ नही बताया, शायद वो जानती थी कि उसके साथ हादसा होने वाला है। पर उसे न ही मैं समझ पाया ना राज। राज संजना को छोड़ने चले गया। और मैं दिव्या को उसके घर तक छोड़ आया। अंजलि- तो खूनी कोई और है। दिव्या का कोई दुश्मन था आपकी नजर में।
शास्त्री जी- नही दुश्मन तो कोई नही था । 
अंजलि- तो आप चाहते हो ये केस में लडू। 
शास्त्री जी- हां। आपको ये केस लड़ना होगा। दिव्या के लिए, राज के लिए, 
अंजलि- लेकिन सर्, आप मेरे कॉलेज के टीचर हो। आपने मुझे इस लायक बनाया है कि मैं आज एक वकील हूँ। लेकिन मैने जोशी सर  से वकालत सीखी है। और  मैं उनके ही खिलाफ कैसे लड़ सकती हूँ। 
शास्त्री जी- सच और झूठ की लड़ाई मैं । गुरु शिष्य नही देखते है। तुम इस लड़ाई को सच के लिए लड़ रही हो। केस जीत जाओगे तो आपके गुरु का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा। गुरु अपनी हार से भी खुश रहता है बशर्ते उसे हराने वाला उसका ही शिष्य  हो।

(मैं भी केस लड़ने को तैयार हो गयी। इसलिये थेंक्स बोलना है तो शास्त्री सर को बोलना।)

राज अब अपनी मौसी से मिलने अपनी गली में गया। और मौसी का फिर से भरोसा पा लिया, मौसी भी शास्त्री जी से मिली हुई थी। मतलब राज को मौसी  ने बताया कि उसे उस पर पूरा भरोसा था। ये सुनकर राज ने उनसे माफी मांगी की हर बार आपका दिल तोड़ा है मैंने। मगर मैं गलत नही होता, ना जाने क्यो  किस्मत मुझे बार बार झुका रही है।
मौसी- किस्मत को क्यो कोस रहा है। मैने तुझे मना किया था संजना के चक्कर मे पड़ने के लिए, तूने मेरी नही सुनी।  बेटा आज तु जिस मोड़ पर है वो उसी की वजह से ,
राज- अब इसमें उसकी क्या गलती।
मौसी- ना उसने चिट्ठी का इल्जाम लगाया होता ना दिव्या डायरी चुराती ना राजीव दिव्या को मारता। अब तुझे क्या लगता है वो पकड़ा जाएगा।  नही पकड़ा जाएगा। कभी नही।
राज- वो जरूर पकड़ा जाएगा। तुम भरोसा रखो।
मौसी- सामने मत जाना अभी( संजना के घर की तरफ इशारा करते हुए) उसका भाई भी आया है। सबको पता चल गया तेरे संजना का। उसका भाई गुस्सा कर रहा था उसे।
राज- कुछ नही होगा।
मौसी- जेल से आया है, दाग लगा है तुझपर,
राज- ये दाग, मेरे लिए उतना गहरा नही जितना अपने दोस्त को नही बचा पाने का लगा है। जो अमिट है। उसका क्या करूँ।
मौसी- मेरे बस की नही है तुझे समझाना।
राज- नही जा रहा हूँ। शास्त्री जी के पास जा रहा हूँ।

(शास्त्री जी अपने घर मे सोफे में दो कप चाय बनाकर बैठे थे। जैसे ही राज अंदर आया) 
शास्त्री जी- आईये , आपका इंतजार था बेटा। 
राज - (अंकल से लिपट गया और जोर जोर से रोने लगा) 
शास्त्री जी- रोते नही बेटा, दिल कमजोर मत करो। 
राज - दिव्या ने बहुत कोशिश की मुझे रोकने की ,मैं नही रुका, मेरी वजह से आज वो इस दुनिया मे नही है ।
 शास्त्री जी - वजह तो बहुत लोग है। उसके इस दुनिया मे न होने की।
राज - नही अंकल उस दिन दिव्या मुझसे गले मिली पहली बार, और बोलने लगी। न जाने फिर मौका मिलेगा या नही।
उसने बहुत कोशिश की मुझे समझने की………मगर मैं…..मैं तो पागल था संजना के लिए……उसकी जिम्मेदारी दिख रही थी……उसको ज्यादा समय देना चाहता था। उसके दिल मे जगह बनाना चाहता था।( रोने लगता है)
शास्त्री जी- बेटा दिव्या का गम मुझे भी है। मगर अतीत को  कोसने से अपना भविष्य खराब मत करो, संजना तुम्हारा इंतजार कर रही है। आखिर तुम उससे प्यार करते थे।
राज- मुझे अब एहसास हुआ है, की मेरा असली प्यार कौन था,  आप सही कहते थे। "किसी की कीमत उसके दूर हो जाने पर महसूस होती है"
(राज अंकल के बताए उदारहरण को याद करता है)
जब शास्त्री जी ने कहा था """"

"""'' शास्त्री जी- दोस्त के अलावा भी एक रिश्ता होता है । जो एक दूसरे के बिना अधूरे होते है । लेकिन उन्हें पता नही होता।एक दूसरे को खो देने के बाद ही उन्हें उसकी कमी का एहसास होता है
राज- आपकी बात में  गहराई है। लेकिन मेरे समझ से बाहर की बात है। 
अंकल- "रोशनी और प्रताप" एक दम एक दूसरे के शत्रु है। लेकिन अगर प्रताप ही न हो तो रोशनी की क्या जरूरत। 
राज - आप जो भी कह रहे हो ठीक कह रहे हो। 
अंकल - (हंसते हुए) अब भी नही समझे।
चलो ये बताओ एक अंधेरा कमरा है।  उसमें एक दीपक जलाया जाता है। किसकी तारीफ होती है।
 राज- दीपक की, जिसने अंधेरे कमरे में रोशनी भर दी है। अंकल - बात तो सही है पर। माचिस की तिल्ली का क्या जिसने दीपक को अपनी रोशनी देकर खुद को बुझा लिया।"और अगर दिन के उजाले में दीपक जलाया जाएगा तो लोग कहेंगे क्यो जलाया है बुझा दो दिए को।
 राज- अब मेरी समझ मे बात आ गयी है 
अंकल- अभी नही तेरी समझ मे ये बात बहुत बाद में आएगी।""""

(आज राज के समझ मे वो बात आ गयी थी और अपनी सच्ची मोहब्बत का एहसास हुआ जिसे वो खो चुका था।)

शास्त्री जी- अब खुद को बेवजह कोसने से अच्छा है कि राजीव को सजा दिलवाए। ना जाने कहाँ छुपकर बैठा है। खूनी तो वो है।
 राज - खूनी तो मैं  हूँ। अंकल
शास्त्री जी - क्या मतलब 
राज - (मंद मुस्कान मुस्कराते हुए शायद जबरदस्ती वाली मुस्कान ) खून तो मुझसे हुआ है। मैने सबसे झूठ बोला की मैं खूनी नही हूँ। क्योकि मैं जिंदगी भर जेल में नही रहना चाहता था।)

(शास्त्री जी समझ नही पाते है क्योकि उन्होंने राज पर खुद से ज्यादा भरोसा किया था )

(अगले एपिसोड में- राज शास्त्री जी के सामने अकेले कमरे में कबूल करता है कि उसने खून किया है, वो खूनी है। और उन्हें बताता है कि कैसे उसने इस मर्डर को अंजाम दिया और क्यो किया )

(अगला पार्ट इस कहानी का अंतिम भाग होने वाला है । प्लीज कॉमेंट करके बताये आपको कौन सा पार्ट सबसे अच्छा लगा। और ये जरूर बताएं अगले पार्ट का इंतजार किस किस को है। जरूर बताएं।)


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1 Comments

🤫

06-Sep-2021 03:16 PM

अब ये क्या झोल है....

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