इश्क़-ए-ना'तराश
(हिस्सा- एक)
मैं समाज से हूँ कटी-कटी
मेरा मिज़ाज ज़रा है मुख़्तलिफ़
तू महफ़िलों की बात ना कर
ये बात मुझको रुला ना दे
मुझे दिल्लगी का शऊर नहीं
मेरे शौक़ तुझसे जुदा जुदा
जो काम मैंने किया नहीं
उसका मुझे इल्ज़ाम ना दे
मुझे रास्तों की फ़िकर नहीं
मैं मंज़िलों से ख़फ़ा ख़फ़ा
तू राह का मेरी संग ना बन
तू दोस्त है, सफ़र में मेरा साथ दे
मैं तुझको कभी भूली ही नहीं
ज़हन पर नक़्श है चेहरा तेरा
मेरी ये चाहत कि तू मुझको याद कर
मेरा ये डर कि कहीं तू मुझको भुला ना दे
आसाइशों की मैं आमैं समाज से हूँ कटी-कटी
मेरा मिज़ाज ज़रा है मुख़्तलिफ़
तू महफ़िलों की बात ना कर
ये बात मुझको रुला ना दे
मुझे दिल्लगी का शऊर नहीं
मेरे शौक़ तुझसे जुदा जुदा
जो काम मैंने किया नहीं
उसका मुझे इल्ज़ाम ना दे
मुझे रास्तों की फ़िकर नहीं
मैं मंज़िलों से ख़फ़ा ख़फ़ा
तू राह का मेरी संग ना बन
तू दोस्त है, सफ़र में मेरा साथ दे
मैं तुझको कभी भूली ही नहीं
ज़हन पर नक़्श है चेहरा तेरा
मेरी ये चाहत कि तू मुझको याद कर
मेरा ये डर कि कहीं तू मुझको भुला ना दे
आसाइशों की मैं आ'दी नहीं
हूँ सोगवार मैं मातम में मुब्तला
ख़ुशियाँ तू मुझको दिया ना कर
हाँ ग़म हैं तो दामन में मेरे डाल दे
~अलमास💎
Swati chourasia
16-Oct-2021 08:45 PM
Very beautiful 👌
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Aaliyah Haroon Kamil
17-Oct-2021 11:30 PM
Thank you ❤
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Miss Lipsa
06-Sep-2021 03:29 PM
Nice
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Aaliyah Haroon Kamil
07-Sep-2021 11:21 PM
Thank you
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