Sunita gupta

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दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय आंसू

तेरे  बिन श्याम अब कुछ सुहाता नही।
तेरे बिन अब नजर कुछभी आता नही। 

मेरी  आँखे  है  दर्शन  की प्यासी तेरी,
तेरे  बिन  प्यास  कोई  बुझाता  नही। 

जब  से  देखी   तुम्हारी  मनोहर  छबि,
अब  कोई रूप मन को , लुभाता नही। 

मैं  तुम्हारे  बिना  अब  न रह पाऊंगी,
क्या कहूं अब कहा कुछभी जाता नही। 

बंशी की धुन पर नाचूं मयूरी बन कर,
कोई  बंशी की धुन अब  बजाता नही। 

मैं बहा कर के  जाती, तुम्हारे  चरण,
सरिता की धार दिल तू सजाता नही। 

सुनीता गुप्ता'सरिता'कानपुर

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2 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ

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Renu

19-Dec-2022 07:52 AM

👍👍🌺

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