बुढ़ापा
सुबोध ने जैसा सोचा वैसा कुछ नही हुआ ,ज्यादा कुछ नही था लेकिन इतना था कि सब ठीक से चल रहा था । एक ही घर में बेटे बहु के साथ खुशी से सब रहते थे ।
सब ठीक चल रहा था लेकिन घर की छोटी छोटी उलझनों को उनके बच्चे संभाल नहीं पाए और सुबोध के छोटे बेटे ने अलग होने का फैसला किया।