ग़ज़ल

1222 1222 1222 
शिफ़ा गम , हिज्र और तन्हाई चलती हैं
हमारे साथ क्यूँ रुसवाई चलती है

झगड़ कर थक चुके हैं यार हम दोनों
हमारे बीच अब  तन्हाई चलती हैं।।

जमाने में बहुत मशहूर हैं लेकिन 
मुहल्ले में मेरी रुसवाई चलती है।।

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4 Comments

Gunjan Kamal

21-Dec-2022 09:12 PM

बहुत ही सुन्दर

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Sachin dev

21-Dec-2022 04:37 PM

Nice 👌

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🙏🙏सर

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