लेखनी प्रतियोगिता -20-Dec-2022 एकलव्य का लक्ष्य
विषय-लक्ष्य
शीर्षक-एकलव्य का लक्ष्य
आओ बच्चों तुम्हें बताये,
एकलव्य की कहानी सुनाये
अडिग था उनका लक्ष्य,
निष्ठा से निभाते वचन।
एकलव्य था शिकारी का बेटा,
मन में ठानकर लक्ष्य भेदता,
सीखने को चला धनुर्विद्या,
द्रोणाचार्य को था गुरु बनाना।
पिता से लेकर आज्ञा,
द्रोणाचार्य के पास चला,
एकलव्य ने उन्हें बताया,
सीखनी है धनु विद्या।
द्रोणाचार्य की प्रिय शिष्य अर्जुन,
द्रोणाचार्य का था एक की प्रण,
संसार का हो एक ही धनुर्धर,
सर्वश्रेष्ठ कहलाये धनुर्धर अर्जुन।
द्रोणाचार्य ने किया मना,
नहीं सिखा सकता धनुर्विद्या,
एकलव्य का था एक ही सपना,
लक्ष्य को कभी नहीं छोड़ा।
द्रोणाचार्य की बनाई मूर्ति,
धनु शिक्षा में हुए अग्रणी,
धनु विद्या में की पारंगत हासिल,
निपुण थे उनकी निशाना बाजी।
अपने लक्ष्य का नहीं किया त्याग,
रखो अपने पर अटल विश्वास,
सफलता की भरी उड़ान,
पत्थर के गुरु से की शिक्षा प्राप्त।
जब लगा भोकने कुत्ता,
एकलव्य की शिक्षा में आई बाधा,
आया एकलव्य को गुस्सा,
तीरो से भर दिया मुख।
कुत्ते की ना सुनी आवाज,
द्रोणाचार्य आए बाहर,
देख तीरो से भरा मुख,
बिना चोट लगे किया चुप।
द्रोणाचार्य को हुआ अचरज,
किससे की शिक्षा ग्रहण,
दिखा मूर्ति आप ही है मेरे गुरुवर,
किया हूं रोज आपका वंदन।
द्रोणाचार्य ने छल रचा,
देख उसका धनु में निशाना,
मांगी उससे गुरु दक्षिणा,
दक्षिणा में मांगा दाहिना अंगूठा।
एकलव्य ने तनिक ना सोचा,
दाहिने हाथ का अंगूठा काट डाला,
गुरु चरणों में रख दी दक्षिणा,
ऐसी थी एकलव्य की महिमा।
तुमसे ले हर कोई प्रेरणा,
लक्ष्य का बुना सपना,
मिली एकलव्य को सफलता,
गुरु दक्षिणा में इतिहास रचा।
लेखिका
प्रियंका भूतड़ा
Punam verma
21-Dec-2022 09:14 AM
Very nice
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Abhinav ji
21-Dec-2022 07:36 AM
Very nice👍👍
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Swati chourasia
21-Dec-2022 03:24 AM
बहुत खूब 👌
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