Sunita gupta

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दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय कानपुर है नगर

कानपुर है नगर,प्रेम का घर||
देखा मैने ह्रदय में उतर कर|| 

माना सारा शहर है प्रदूषित||
हो गई है हवा आज दूषित||
कारखाने रहते हैं जहर भर||
देखा मैने ह्रदय में उतर कर|| 

भीड़ उन लोगों की आज भारी||
खा रहे हैं जो गुटखा व सुपारी||
आज गुटखा है हावी शहर पर||
देखा मैने ह्रदय ,,,,,,  

कपड़ा बनता बहुत कानपुर मे||
प्यार सस्ता, बहुत कानपुर मे||
कानपुर  उद्यमों का शहर सर||
मैने देखा ह्रदय,,,,,, 

बहती रहती है सरिता की धारा।।
डालके कचरा जल किया खारा।।
सरिता के जल पे करो न कहर।।
मैने देखा हृदय,,,,,,,,, 

सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर।

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5 Comments

यथार्थ चित्रण

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Swati chourasia

22-Dec-2022 06:14 AM

बहुत ही सुंदर रचना 👌

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Renu

21-Dec-2022 10:25 PM

👍👍🌺

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