लेखनी कहानी -22-Dec-2022 बिन ब्याही बनी विधवा
विषय-मेहंदी का रंग फीका
शीर्षक- बिना ब्याही बनी विधवा
अंजलि ने अपनी पढ़ाई राजस्थान कोटा में पुरी की थी।
अंजली अपनी पढ़ाई कंप्लीट करके अपने मम्मी पापा के पास रहने आई थी। अंजलि उदयपुर की रहने वाली थी। अंजलि को उदयपुर में अध्यापिका की जॉब लग गई थी। वही पर स्कूल में कार्यकर्ता थी।
*कुछ समय के बाद*
अंजलि के लिए उसके पिता मोहन सिंह रिश्ता ढूंढने का है। अंजलि के लिए उदयपुर में ही एक रिश्ता ढूंढ लिया था। अंजलि के लिए जो रिश्ता देखा वह लड़का आर्मी सैनिक था। जब अंजलि ने अंकुश को देखा तो अंजलि ने रिश्ते के लिए हां कर दिया। दोनों तरफ से हां होने पर अंजलि और अंकुश की सगाई हो गई।
कुछ महीने भर की छुट्टी के लिए उदयपुर आया था वैसे आपको उत्तराखंड की बॉर्डर पर तैनात था।छुट्टी होने की वजह से अंकुश के माता-पिता ने शादी की जल्दबाजी की और कहा कि हमें शादी अभी कर लेनी चाहिए।
लड़की के माता-पिता ने हां कर दी। जोरो जोरो से शादी की तैयारी हो रही थी। इधर अंजलि की हल्दी रसम चल रही थी। उधर अंकुश को एक चिट्ठी आती है वह चिट्ठी उत्तराखंड के बॉर्डर से आती है। चिट्ठी को पढ़कर अंकुश सोच में पड़ जाता है। और मैं सोचता है मैं क्या करूं कैसे मां बापू जी को कहूं ,कैसे अंजलि को कहूं कि मेरा बुलावा आया है मातृभूमि के लिए फर्ज निभाना है। यह सब सोचते सोचते अपने माता-पिता के पास जाता है और कहता है मां मुझे मातृभूमि बुला रही है वहां पर युद्ध आरंभ हो गया है और मुझे जाना पड़ेगा।
इधर अंजलि हल्दी की रसम पूरी करके मेहंदी लगा कर बैठी थी।
तभी अंजलि को अंकुश के घर से फोन आता है और कहते हैं अंकुश देश की रक्षा के लिए उत्तराखंड के बॉर्डर पर युद्ध करने के लिए गया है। तभी अंजलि यह बात सुनकर सहम जाती है फिर कहती है कि मैं अंकुश का इंतजार करूंगी अभी तो हल्दी और मेहंदी लगी है।
*2 दिन के बाद*
उत्तराखंड से अंकुश के माता पिता के पास एक कॉल आता है और कहते हैं अंकुश अब नहीं रहा युद्ध में लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गया है। यह बात सुनकर यह बात सुनकर अंकुश के माता-पिता की जैसे जान चली गई हो। वह कुछ देर तक सदमे में रहे और सोचते रहे परमात्मा यह क्या किया। अंकुश के पिता मोहन जी को फोन करते हैं और सब बातें बता देते हैं। यह सुनकर मोहन जी सहम जाते हैं। और फोन रख कर अपनी बेटी को बताने जाते हैं यह सुनकर अंजलि का जैसे मेहंदी का रंग फीका पड़ गया हो। अंजलि रोने लगती है सुहागन होने से पहले ही सफेद साड़ी उसकी दुनिया बन जाती है। सोलह श्रृंगार चढ़ने से पहले ही उतर जाते हैं। उधर अंकुश की लाश घर पर आती है अंजलि भी अंकुश के घर जाती है। अंजलि ऐसी हो गई थी जैसे इसका पूरा संसार लुट गया हो। लेकिन अंजलि और अंकुश ने कसमें खाई थी कि तू मेरी ही पत्नी बन कर रहेगी तू मेरे माता-पिता का ख्याल रखेगी कभी उन्हें दुख नहीं देगी। बस अंकुश के इन बातों का ध्यान रखकर अंजलि अंकुश के माता पिता के पास रहने लगते हैं और उनकी देखरेख में अपना दिन बिता देती है। एक वीर सैनिक की हमसफर बनकर रहने लगती है।
लेखिका
प्रियंका भूतड़ा
Gunjan Kamal
23-Dec-2022 11:29 PM
शानदार
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Mahendra Bhatt
23-Dec-2022 10:04 AM
Nice 👍🏼
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shweta soni
23-Dec-2022 07:40 AM
👌👌👌
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