Sunita gupta

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दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय दगा

|हम तो हुए बरबाद,वफा की हाय कसमें निभा के||
दिल के जले हैं दाग,गया है कोई बिजली गिरा के||

कोई ना अपना देखा,दुनिया पराई है||
रीति यहाँ ना जाने,किसने बनाई है||
किसने बनाई है,हाये दुहाई है||
रस्में डसें बन नाग,जहाँ की हाय हमको सताके||
दिल के जले हैं दाग गया है कोई बिजली-----


प्यार ने लूटा हमें,प्यार ने मारा है||
रूठी हैं खुशियाँ लोगो,गम का सहारा है||
गम का सहारा है,दिल तो वेचारा है||
रो-रो करे फरियाद,दगा न देना प्यार जता के||
दिल के जले हैं दाग गया है कोई बिजली गिरा के||
मधुकवि राकेश मधुर

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5 Comments

Good work 👍

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Parangat Mourya

27-Dec-2022 03:09 PM

Behtreen 🙏🌸

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Alka jain

27-Dec-2022 12:19 AM

शानदार

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