Add To collaction

गीत

करने पूरी प्यास...
  गीत          
करने पूरी प्यास-आस को,
सरिता सागर से मिलती।
हिम-शिख से वह उतर अवनि पर-
कल-कल,छल-छल नित बहती।।
         जग की शोभा बनी रहे,
          विटप सदा फल दिया करें।
         माँ सी प्यारी धरती माता-
         बूँदी-घात सदा सहती।।
करने पूरी प्यास-आस को,सरिता सागर से मिलती।।

फसल-फूल-फल-अन्न अवनि दे,
पेट है भरती  जीवों  का।
चीड़-फाड़ जब उसका होता-
कभी नहीं क्रंदन करती।।
 करने पूरी प्यास-आस को,सरिता सागर से मिलती।।

        लुट जाती है गंध हवा में,
        चमन-पुष्प की शोभा जो।
        लुट जाने में सुख वो पाती-
        निज उर व्यथा नहीं कहती।।
करने पूरी प्यास-आस को,सरिता सागर से मिलती।।

सरल भाव से सिंधु सौंपता,
निज उर मोती दुनिया को।
पा मोती को छलिया दुनिया-
निज धन कह झोली भरती।।
    करने पूरी प्यास-आस को,सरिता सागर से मिलती।।

        सूरज-चाँद-सितारे नभ के,
         मिल अँधियारा दूर करें।
        बिना तेल-बाती के इनकी-
        ज्योति सतत जलती रहती।।
करने पूरी प्यास-आस को,सरिता सागर से मिलती।।

जीवन के हर प्रश्न का उत्तर,
हल हर जटिल समस्या का।
देती क़ुदरत मुदित भाव से-
टाल-मटोल नहीं करती।।
    करने पूरी प्यास-आस को,सरिता सागर से मिलती।।

       हम हैं प्रश्न और हम उत्तर,
       हार-जीत के कारण हम।
       सबक फूल-काँटों से सीखो-
       दोनों में कैसे निभती!!
करने पूरी प्यास-आस को,सरिता सागर से मिलती।।
                 © डॉ0हरि नाथ मिश्र
                     9919446372

   6
1 Comments

बहुत खूब

Reply