रक्षक (भाग : 09)
रक्षक भाग : 09
Undead कथा:
प्रेवलीन ग्रह...
अंतरिक्ष में..
प्रेवलीन ग्रह पर सुरक्षा किरणें बिछाई जा चुकी थी, जिसके कारण दोनों यान ग्रह के वातावरण में प्रवेश नही कर पा रहे थे, बहुत कोशिश के बाद किसी तरह यान का संपर्क संस्था से हो पाया, फिर उन्हें आने की इजाजत मिली, इन सब मे किसी ने भी उस काली सी रेंगती चीज पर ध्यान नही दिया जो यान में चिपककर आगे की बढ़ती जा रही थी।
इस बार भी कई सैनिक मारे गए पर कनेक और अनद को सुरक्षित देख स्वेरम बहुत खुश हुए, फिर उन्होंने संस्था के मुख्य कमरे में बैठकर इस बारे में बात की, जिसे सुनकर स्वेरम ने उन दोनों की और सभी सैनिको की बहुत तारीफ की और जिनकी मृत्यु हो गयी उनके घर परिवार की पूरी जिम्मेदारी निर्वंहन करने का वादा किये और प्रत्येक घर से एक योद्धा तैयार करने की योजना बनाने लगे।
यह ग्रह बहुत ही अद्भुत था।यहां प्रकृति और तकनीकी का अनोखा संगम था, जहाँ एक ओर पहाड़ नदियां फूल झरने थे, वहीं प्रेवलीन वासियों का निवास था, दूसरी ओर तकनीकी विकास में जुटी संस्था जिसके निर्माता स्वेरम एक गुलाबी प्रेवलीन थे, परन्तु उन्होंने अनद को हमेशा अपने बेटे से बढ़कर माना अपने धरती की रक्षा के लिए वो इतने व्यस्त थे कि उन्हें प्रेम या विवाह का भी अवसर न मिला।
अनद अब भी इन सब से हटकर उस काले साये और अपनी शक्तियों के अचानक बढ़ जाने के बारे में सोचता है, वो पिछले कई सालों से अपने धरती की रक्षा कर रहा था, परन्तु ऐसा कभी नही हुआ।
“क्या उस अंतरिक्ष हत्यारे को ताक़त उजाले ने दी होगी?” - अनद मन मे सोचता है।
“और वो काला साया कौन है, मुझमे अचानक से इतनी ऊर्जा कहा से आ गयी।”
अनद अपनी विचारों के अलग दुनिया में खोया हुआ होता है तभी कनेक आकर उसे झकझोरता है।
“क्या हुआ दोस्त! कहा खो गया है” - कनेक बोला
“क.…कुछ नही यार, बस ऐसे ही थोड़ा ठीक नही लग रहा है।” - अनद ने उसको जवाब दिया।
कनेक उसे ज्यादा परेशान नही करना चाहता था वो वहाँ से उठकर सीधा स्वेरम के कमरे की ओर चला गया जहाँ वो विश्राम कर रहे थे। कनेक भी स्वेरम का लाडला था, स्वेरम का व्यक्तित्व बहुत निश्छल और बड़े हृदय का था, संस्था के हर सदस्य को अपना परिवार मानते थे।
“सर! क्या मैं अंदर आ सकता हूँ!” - अनद ने आदरपूर्वक पूछा।
“हाँ बिल्कुल! कहो क्या हुआ, कुछ परेशान से लग रहे हो!”- स्वेरम ने उसके चेहरे को गौर से देखकर पढ़ते हुए कहा।
“सर मुझे लगता है कि अनद को आराम की जरूरत है, वो मुझे परेशान लग रहा है, अपनी पत्नी और बेटे के पास रहेगा तो ठीक हो जाएगा”- कनेक बोला।
“मुझे पता है तुम्हे उसकी परवाह है, मैं भी यही सोच रहा था”- स्वेरम बोले।
कुछ देर बाद एक व्यक्ति आया जो यान चालक था, उसने एक डिजिटल लेटर दिखाया और उसके बाद अनद स्वेरम और कनेक से मिलकर घर जाने को तैयार होने लगा, आखिर पहली बार ऐसा हुआ था कि एक ही मिशन के बाद उसे घर जाने को मिला हो।
पर मुसीबते पीछा कहा छोड़ती हैं...
किसी का भी उस काली चीज पर ध्यान नही था, जो धीरे धीरे सरककर स्वेरम के कमरे की ओर जा रही थी।
उधर प्रेवलीन ग्रह पर ही सुबह में
अनद के घर पर
“अवि! बेटा अब नीचे आ जाओ आज बहुत ऊपर तक चले गए हो।”- उपमा जोर से चिल्लाकर बोली।
अवि आज पहली बार पहाड़ी के आधे भाग से ऊपर चला गया था, उसे पूरा पहाड़ चढ़ना था उसे बड़ी जिज्ञासा थी कि इस पहाड़ के पार क्या है?
“माँ देखो आज मैं यहां तक आ गया, जल्दी ही उपर पहुंच जाऊंगा तुम देखना” - अवि ने जोर से चिल्लाकर जवाब दिया।
“उफ्फ्फ… ये बाप बेटे कभी मेरी नही सुनते” उपमा अपना माथा पकड़कर बैठते हुए बोली।
संस्था में….
“सर मुझे आज भेजा जाना था, फिर अचानक से मेरी छुट्टी निरस्त क्यों कर दी गयी?” - अनद स्वेरम के कमरे में खड़ा था और उनसे बातें कर रहा था।
“बेटे ये देखो!” एक पहाड़ी के अंदर का भाग दिखाते हुए स्वेरम बोले।
पहाड़ी में कोई ठोस उबल रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे वो जिंदा हो, जिंदा मैग्मा जो शायद इस ग्रह को ही खत्म कर दे या इस ग्रह की सुरक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे।
“ये क्या है सर! हमारी धरती में ऐसी चीज कब से आ गयी?” अनद की इस बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ गयी।
“यही तो समस्या है अनद! ये जो भी है हमारे ग्रह के निर्माण के समय से ही है।” - स्वेरम बोले।
“तो हम इसका क्या करें सर?” - अनद पूछा।
“बस इस बारे में किसी को पता न चले, तब तक, जब तक हम इसका उपाय ढूंढ नही लेते।”- स्वेरम बोले।
“जरा रुकिए सर! ये कोई जिंदा चीज है, ये धीरे धीरे पूरे ग्रह में फैल रहा है।” - अनद बोला “जल्दी ही इससे निपटने का कोई तरीका ढूंढना होगा वरना पूरा ग्रह नष्ट हो जाएगा।”
अब तक प्रेवलीन का आधा प्राकृतिक भू-भाग उस जीवित मैग्मा के चपेट में आ चुका था, अनद और स्वेरम ये देखकर बहुत परेशान होने लगे, तभी अनद को कुछ याद आया, उसका परिवार
उसका परिवार भी वही था, संस्था ने हज़ारो यान वहां से लोगो को सुरक्षित लाने के लिए भेजा था, पर सिर्फ इतने यान काफी न थे, अनद तुरंत वहाँ से एक यान लेकर अपने परिवार को बचाने निकल पड़ा।
अवि अब तक पहाड़ी के ऊपरी छोर पर था, और उसकी माँ उसको पहाड़ी के नीचे से बुला रही थी, थोड़ी देर में अवि ऊपर पहाड़ पर चढ़ गया, वहां का नज़ारा देखने योग्य था, हर तरफ घना जंगल, पेड़ पौधे और बस हरियाली।
तभी वहां झटके महसूस होने लगे, ऐसा पहली बार हुआ था कि प्रेवलीन पर इस तरह के कंपन महसूस किए गए हो, अपने यान को लेकर अनद पहाड़ी के पास आ रहा होता है तभी पूरी पहाड़ी एक धमाके से उड़ जाती है, और फिर अनद अवाक सा देखता रह जाता है वह आखिरी बार अपने बच्चे और पत्नी से मिल भी नही पाता, उस पहाड़ी के उड़ते टुकड़े अनद के यान से टकराकर उसको भी नीचे गिरा देते हैं और जब सब शांत हुआ तो वहां देखने को कुछ नही था। संस्था ने ग्रह को बाहरी आक्रमणों से बचाने के लिए बहुत कुछ बनाया पर अंदर से आने वाली मुसीबत के बारे में किसी ने नही सोचा था। अवि, उपमा औऱ अनद तीनो एक ही पहाड़ी के अवशेषों तले दबकर प्राण गवां चुके थे, सारा ग्रह विनाश के कगार पर था।
हर जगह लावे फुट रहे थे, प्रेवलीन का एक भी निवासी अपनी जान बचाने में सफल नही हुआ, पूरा ग्रह लावे का घर बन गया और करीब दो दिन बाद..
एक हाथ हल्के से निकला, नीली त्वचा जलकर एकदम काली हो चुकी थी। आँखों मे बस क्रोध भरा हुआ था उस जलते ग्रह में भी उन आंखों से ज्यादा अंगार कही नही था।
“मैंने तुम्हें चेतावनी दी थी दोस्त”- सामने की ओर से एक आवाज उभरी, अनद ने आवाज की ओर ध्यान दिया तो उसे वही काला साया नज़र आया। “मैं जानता हूँ तुम्हे लगेगा ये मैंने किया परन्तु मैं ये नही करता दोस्त, ये काम उजाले का है वो तुम्हारे ग्रह की समृद्धि से जलता था, इसलिए उसने तुम्हारे ग्रह का नामोनिशान मिटा दिया, तुमने अपना सब कुछ खो दिया मैं तुम्हारा दर्द समझता हूँ दोस्त!”
“बन्द करो ये बकवास” अनद रोते हुए बोला। “कोई भी विनाश का कारण हो पर मैं नही बचा पाया, मैं हार गया! मैं हार गया!” दोनो आंखों से अश्रुधारा बह चली थी, पर वो उस दुख के सामने बहुत छोटी थी।
“मैं चाहता हूँ तुम उजाले से इसका बदला लो।”- वह काला साया बोला।
“क्या!” - अनद चौंककर बोला।
“हाँ उजाले से बदला, तुम्ही सोचो जब इस सारे ग्रह का विनाश हो गया, उजाले ने सबको मिटा दिया, मार दिया सबको तब केवल तुम ही जिंदा क्यों बचे, कुछ खास उद्देश्य होगा तुम्हारे जीवन का है न..”- काला साया बोला।
“वो तो ठीक है, पर जब तुम्हे पता था तो तुमने हमे बचाया क्यों नही।” - अनद लड़खड़ाकर खड़ा होते हुए बोला, चारो तरफ लाल ही लाल फैला हुआ था अनद लावे पर खड़ा था पर उसे उसके जलने के कोई एहसास न था।
“मैं इतना ताकतवर होता तो उजाला यहाँ तक आ ही नही सकता था, और तुम्हारे ग्रह पर सुरक्षा घेरा लगा हुआ था जिससे मेरे आने में बहुत देरी हो गयी।” वह काला साया बोला।
“तो तुम्हे साथी की जरूरत है?”अनद बोला उसकी आंखें एकदम लाल हो चुकी थी, शरीर लावे में जल रहा था पर अब उसके मुँह से उफ्फ तक नही निकल रहा था।
“हाँ! और मैं चाहता हूँ तुम मेरी मदद करो, उजाले को जैसा तुम्हारे ग्रह के साथ किया वो सब करने से पहले ही रोकना होगा।”- वह काला साया बोला।
“मैं उजाले को जड़ से मिटा दूंगा, उसने मेरा परिवार मेरा सबकुछ छीना है, मैं उससे उसका सब कुछ छीन लूंगा”- अनद गुस्से में चीखते हुए बोला।
उस काले साये ने अपने हाथ से एक काला भाग निकालकर अनद के शरीर पर लगा दिया, अनद का पूरा शरीर अब गाढ़ा काला हो गया और अब वो लावे से ऊपर उड़ रहा था।
“अब से तुम मर चुके हो पर कभी नही मर सकते, अब तुम undead हो।” - वह काला साया बोला।
“हाँ! अब इस ग्रह के साथ उसका रक्षक अनद भी मर चुका है, अब मैं हूँ undead जो उजाले को उसके किये की सजा दूंगा”- अनद चिल्लाते हुए बोला।
“अब यहां से चलो दोस्त!” वह काला साया बोला।
“रुको! अपने ग्रह वालो को श्रद्धांजलि दे लू” अनद ने अपने हाथ जोड़कर सर झुकाया।
“मैं तुम सबका बदला अवश्य लूंगा, मैं उजाले को उसके किये की सजा अवश्य दूंगा”.....
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“यार एक ही पल में ये क्या हुआ?” स्कन्ध बोला।
“ये अंधेरे की चाल थी जिसमे वो कामयाब रहा, उसने एक ब्रह्मशक्ति धारक को अपनी ओर मिला लिया और इसके लिये इतना बड़ा नाटक किया और पूरे ग्रह को... उफ्फ….” - जयन्त बोलते हुए चिहुंका।
“यूनिक जरा पीछे पॉज करना”
“क्या हुआ जयन्त?” - रक्षक बोला
“यहां देखो रक्षक”- जयन्त स्क्रीन पर एक ओर इशारा करते हुए बोला।
“हे ग्रह देवता! अब क्या होगा” - रक्षक ने अपना सिर पकड़ लिया।
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“ये युद्ध बस आज का ही था मुझे आज ही खत्म करना है, महान तम ने मुझे नया जीवन और उजाले से बदला लेने का अवसर दिया है, सैकड़ो साल से जिस अग्नि में झुलस रहा हूँ उसे बुझाना ही होगा, उजाले के हर केंद्र ग्रह को मिटा डालूंगा मैं!”- undead चीख रहा था।
“ये युद्ध आज ही खत्म होना था, अभी खत्म होगा, अंधेरा कभी भेदभाव नही करता'” कहते हुए अपने फरसे की धार पर अपनी उंगलियों को फिराया, और सैनिक टुकड़ियों को आधी रात में ही युद्ध मे जाने के लिए तैयार करने लगा।
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धरती पर….
“ओये कुम्भकर्ण! उठ जा मोटे अभी अच्छे से धुलाई होगी तेरी”- पूजा, राज के कमरे के बाहर से उसको जगा रही थी, लेकिन एक वो था कि जागने को तैयार ही नही था।
“रुक जा मोटे, अभी मम्मी को बुलाकर लाती हूँ नही तो उठ जा जल्दी से” - पूजा फिर से दरवाजे पर हाथ थपथपाते हुए बोली।
“क्या मम्मी को!” मम्मी का नाम सुनते ही राज उछलकर उठ बैठा और उसने जल्दी से दरवाजा खोलते हुए बोला “अरे नही मैं जाग गया हूँ।”
“हाहाहा … डरपोक कही का” पूजा हँसते हुए बोली
राज बस मुँह बनाकर रह गया।
“कल कहाँ था तू, पूरे दिन और रात में इतनी देर तक..?” पूजा उससे दुबारा यही सवाल पूछती है।
“कही तो नहीं” राज हिचकते हुए बोला।
“मुझे छत पर जाना है आता हूँ थोड़ी देर में”- कहते हुए वो छत की ओर चला गया।
पूजा के मन मे कई तरह के सवाल आ रहे थे पर वो इन सब बातों को छोड़कर मम्मी पापा के पास चली गई।
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क्रमशः…….
Niraj Pandey
08-Oct-2021 04:49 PM
बेहतरीन
Reply
Seema Priyadarshini sahay
05-Oct-2021 12:11 PM
सुंदर भाग
Reply
Shalini Sharma
01-Oct-2021 08:03 PM
Nice
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