Kavita Jha

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मेरी मानस पुत्रियाँ #लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता -31-Dec-2022

मेरी मानस पुत्रियाँ

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मैं हूँ माँ दो बेटों की 
यह तो जानते हैं सब
पर रोज ये मेरे अंतरमन से 
जन्मी मेरी बेटियाँ 
हाँ मेरी कविताऐं 
जो ले रही है जन्म
सब मुझे हैं अति प्यारी
जैसे यही तो हैं 
मेरी दुनिया निराली

मातृत्व का सुख देती हैं 
मन में खुशी भर देती हैं
हर बेटी के जन्म के बाद 
जिस तरह
 एक माँ को चिन्ता होती है 
उसके ब्याह की
उसी तरह तो 
मैं भी जन्मोपरान्त 
हर कविता के
उनके भविष्य के लिए
 चिंतित हो जाती हूँ 
कैसे पाठक मिलेंगे...
कोई इन्हें कैसे समझेगा...
बहुत से मन में उठते सवाल

जन्म दे छोड़ दूँ 
इनको इनकी किस्मत पर...
या छोड़ दूंँ
 मैं इनको जन्म देना...
ये मेरे बस में भी तो नहीं 
क्योकि
 कभी खुशी में 
कभी गम में 
कभी किसी के
 मीठे बोल तो
कभी किसी की
 कड़वाहट के कारण ही तो
जन्म इनका होता है

हाँ
 इन्हीं के जन्मोपरान्त 
कविता का नाम 
सार्थक हुआ
वरना मैं अगर 
लिखना न करती शुरु
तो बस नाम की रह जाती कविता
ये अपनी सहेलियों की 'कवि' 
जो बन गई है कवियत्री
इन्हीं बेटियों के कारण

मैं माँ हूँ
 अपनी इन बेटियों की
तो माँ का फर्ज 
निभाना ही पड़ेगा
अपनी बेटियों को
 इस दुनिया की बुरी नजर से
बचाना ही पड़ेगा
 क्योकि ये बेटियाँ है मेरी मानसपुत्री 

***
कविता झा'काव्या'
राँची, झारखंड
#लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता

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5 Comments

Wahhhh wahhhh Bahut hi सुन्दर सृजन

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Varsha_Upadhyay

03-Jan-2023 07:53 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Sachin dev

02-Jan-2023 06:24 PM

Amazing

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