लेखनी कहानी -31-Dec-2022 प्रेरणा की जिंदगी में आई रोशनी की किरण
कहानी- प्रेरणा की जिंदगी में आई रोशनी की किरण
यह कहानी प्रेरणा की है। प्रेरणा होशियार लड़की थी साथ में ही बहुत चुलबुली स्वभाव की थी। जब प्रेरणा 7 वर्ष की थी तब वह माता-पिता के साथ घूमने जा रही थी उस समय दिसंबर का महीना और कोहरा चारों तरफ छाया हुआ था। अपने माता पिता के साथ प्रेरणा शिमला घूमने जा रही थी। कोहरे के कारण रस्ते में ही एक्सीडेंट हो जाता है और वहीं पर उसके माता पिता की मृत्यु हो जाती है। माता पिता की मृत्यु होने की के कारण वह यह सब बर्दाश्त नहीं कर पाती और प्रेरणा गुमसुम सी रहने लगी। जैसी उसकी जिंदगी में काले बादल छा गए हो। ना किसी से बातें करना ना किसी से बोलना बस चुपचाप रहती थी। ऐसा लगा जैसे माता पिता की मृत्यु का डर अंदर बैठ गया हो।
अब प्रेरणा अपने चाचा चाची के पास रहती थी। चाचा चाची के भी बच्चे नहीं थे चाचा चाची उसे अपनी बेटी की तरह रखते थे। उसकी हर ख्वाहिश पूरी करते थे। प्रेरणा को को पढ़ाया लिखाया उसकी हर बात का ध्यान रखा। लेकिन माता-पिता की कमी हमेशा उसे याद दिलाती रहती थी वह उस घटना को आज तक नहीं भूल पाई। सांसे होने के बाद भी वह पत्थर की तरह थी। ना हंसना, ना किसी से बातें करना ऐसा लगा जैसे बचपन वाली प्रेरणा कहीं खो गई है।
प्रेरणा अब 25 साल की हो गई थी। चाचा चाची उसके लिए रिश्ता ढूंढने लगे। चाचा चाची ने उसके लिए बहुत ही सुंदर और सुशील एक लड़का ढूंढा। वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर था। जब वह प्रेरणा से मिलने आया तो प्रेरणा को देखकर वह आश्चर्यचकित हो गया।
और मन ही मन सोचने लगा ना चेहरे पर मुस्कान आंखों में खुशी। यह कैसे हो सकता है।
रिश्ते के लिए अनुभव ने हां कर दिया। लेकिन उसने एक बात पूछी अंकल आंटी क्या प्रेरणा इस रिश्ते से खुश हैं क्योंकि इसका चेहरा देखकर नहीं लगता कि रिश्ते से खुश है। चाचा चाची ने कहा मैं तुम्हें इसकी पूरी बात बताऊंगी।
प्रेरणा के साथ जो बचपन में हुआ वह सब बातें अनुभव को बता देते हैं यह सुनकर अनुभव दुखी हो जाता है और कहता है आप चिंता मत करिए चाचा चाची मैं प्रेरणा का पूरा ध्यान रखूंगा और बचपन वाली प्रेरणा वापस लेकर आऊंगा।
कुछ दिनों के बाद
वही शीत ऋतु का समय था वही महीना दिसंबर का अनुभव प्रेरणा को घुमाने ले जाता है। वही जगह वही समय वही ऋतु जब प्रेरणा उनके साथ जा रही थी तभी प्रेरणा उस मोड़ पर आकर जोर से चिल्लाने लगती है और अनुभव को गले लगा लेती है और बहुत जोर जोर से रोने लगती है। तभी अनुभव उसे साहस बंधाते हैं और उसे एक बर्फीली पहाड़ के पास ले जाते हैं वह नजारा देखकर प्रेरणा की आंखें छलकने लगी। अनुभव ने भी उसे थोड़ी देर के लिए अकेला छोड़ दिया और वहां का नजारा देखकर प्रेरणा सोचने लगी कितना शांत वातावरण है चारों तरफ पहाड़ बर्फ से ढके हुए ऐसा लगा जैसे सफेद चादर ओढ़ कर मुझे आगोश में ले रहे हो यह धरती पर नदी मुझे सब कुछ भूल कर आगे बढ़ने को सिखा रही हो और वह सब कुछ देख कर रोने लगती है मुझे नहीं मालूम कि मैं कैसे बड़ी हो गई। मेरा बचपन कहां चला गया। तभी अनुभव आता है देख प्रेरणा जो बचपन में हुआ उसे भूल जा और अब पहले वाली प्रेरणा बन। तेरे चाचा चाची भी तुझे बहुत प्यार करते हैं। होनी को कोई नहीं टाल सकता जो हुआ उसमें ईश्वर की मर्जी थी अब तो अपने आगे कदम बढ़ा। मैं तेरे साथ हरदम रहूंगा। यह सब बातें सुनकर उसे ऐसा लगा जैसे उसके जीवन की खुशियां उसे बुला रही हो। और प्रेरणा पहले वाली प्रेरणा लौट कर आ गई और अनुभव के साथ शादी करके सुखी और खुशी से रहने लगी। पहले का सब भूलकर आगे की जिंदगी का रुख मोड़ ली। पहले वाली प्रेरणा जो चुलबुली थी वही प्रेरणा लौटकर आ गई।
भानुप्रिया सिंह
04-Jan-2023 07:01 PM
Bahut sunder 👌
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shweta soni
03-Jan-2023 06:58 PM
Bahut sunder 👌
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Gunjan Kamal
03-Jan-2023 11:37 AM
शानदार
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