Priyanka Verma

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लेखनी प्रतियोगिता - मोहन की बंसी

मोहन की बंसी...



मोहन की बंसी जब जब बाजी,
सुध बुध खोकर गोपियां नाचीं,
गोकुल से लेकर वृंदावन तक,
धूम मची थी, इस छवि बांकी की,

जादू है या है इसका सम्मोहन,
गोकुल का ग्वाला है नन्हा कृष्ण,
यशोदा जिसे देख देख, फूली ना समाती,
जिसके नटखटपन को देख,
शिकायत लेकर ग्वालिन घर तक आती,

जिसके जादू में खो गया ये बृज सारा,
वो प्यारा सा बालक, है जग का पालनहारा,
मीरा और राधा थीं, जिसके प्रेम में दीवानी,
मेरा जीवन भी, उसी प्रेम की बन गया निशानी।।



प्रियंका वर्मा
4/1/23

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9 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन

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Abhilasha deshpande

04-Jan-2023 06:52 PM

Jai shree Krishna

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Raziya bano

04-Jan-2023 06:49 PM

Nice

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