Sunita gupta

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दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय दर्द तुमने दिया

दर्द तुमने दिया, यह बताऊं कहां।
जिंदगानी तेरे ,बिन विताऊं कहां।

तेरे बिन कैसे जी पाऊंगी तू बता,
दर्द अपने मैं किसको सुनाऊं कहां।

प्यार तुमसे किया था यही सोचके, 
दूर न जाऊंगी,अब निभाऊं कहां।

मीरा पीकर जहर भी अमर हो गई, 
दर्द मीराके दिलका दिखाऊं कहां।

आज आओ न आओ कन्हैया कहो,
अपने जीवन बोलो सजाऊं कहां।

सरिता की धार बहती तुम्हारे चरण,
तेरी मूरत को दिल में बसाऊं कहां।

सुनीता  गुप्ता'सरिता'कानपुर

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9 Comments

Sachin dev

05-Jan-2023 03:59 PM

Nice

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Wahhhh बहुत ही खूबसूरत रचना और भावनात्मक अभिव्यक्ति

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Renu

05-Jan-2023 06:18 AM

👍👍🌺

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