Rakesh rakesh

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लेखनी प्रतियोगिता -08-Jan-2023 नारी

जय भारत माता, नारी का सुंदर रूप नजर आता।

 नर नारी नहीं समान, यह सोच ईश्वर का अपमान।
सदियों से दुख सहती है, नारी फिर भी नदियों सी बहती।
 नारी हुई कुप्रथा की शिकार, मर्दानगी को ना आई लाज।
 लज्जा प्रेम का गहना है, नारी को अबला ना कहना है।
 शक्ति दया प्रेम का रूप, नारी मां बहन बेटी पत्नी का खूबसूरत रूप।
 अवकाश, घरेलू महिला के नहीं है पास। 
असंभव को संभव करें,  पुरुष जैसे ही परिश्रम करें।
नारी नहीं विफल, शिक्षा ज्ञान बुद्धि में पुरुष समान सफल।
अधिकार कर्तव्य फर्ज, नारी को है, सबकी समझ।
 श्रद्धा से सर झुकता है, नारी को जब सम्मान मिलता है।
 परिवार से लेकर देश की जिम्मेदारी, नारी सब निभाती।
 ऐसा कोई काम नहीं, जहां नारी का हुआ गुणगान नहीं।
पीड़ा सहती जन्म देती, पुरुष की समझ फिर भी नारी के प्रति छोटी।
 उसको दुःख क्यों देता है, जिसका दूध पीता है।
परिवार का सपना, नारी से ही सच अपना। संसार में नारी का हो ऐसा स्थान, जैसे मंदिर में भगवान।

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7 Comments

Punam verma

09-Jan-2023 10:42 AM

Very nice

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Abhinav ji

09-Jan-2023 08:00 AM

Bahut sundar rachna

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बहुत ही सुंदर सृजन

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