Sarfaraz

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स्वैच्छिक

🌹🌹🌹🌹ग़ज़ल 🌹🌹🌹🌹

बद नज़र है जिनकी उनसे फ़ासला रक्खेंगे हम।
ऐसे लोगों न हरगिज़ वास्ता रक्खेंगे हम।

जो वफ़ादार ए वतन हैं रहनुमाए ए क़ौम हैं।
ज़िन्दगी भर उनसे अपना राब्ता रक्खेंगे हम।

तू ही ख़ालिक़ है हमारा तू ही है परवर दिगार।
अपनी नज़रों में तिरा ही क़ाइदा रक्खेंगे हम।

लाख हों दुश्मन हमारे प्यार के लेकिन सनम।
आपसे मिलने का फिर भी सिलसिला रक्खेंगे हम।

जो सिखाएगा हमें इन्सानियत के सब हुनर।
सामने असलाफ़ का वो आईना रक्खेंगे हम।

इ़श्क़ के मारों का जग में कोई भी चारा नहीं।
दूर अपने क़ल्ब से यह आ़रिज़ा रक्खेंगे हम।

जब तलक भी दम में दम है देख लेना ऐ फ़राज़।
गामज़न ग़ज़लों का यूँ ही क़ाफ़ला रक्खेंगे हम।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसाना मुरादाबाद।

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4 Comments

Rajeev kumar jha

12-Jan-2023 07:28 PM

शानदार

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Reena yadav

11-Jan-2023 07:11 AM

Nice 👌

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Gunjan Kamal

10-Jan-2023 01:01 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌

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