हिंदी

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हिंदी भाषा की दुर्दशा के हम हैं जिम्मेवार
बात बात में झलक ही जाता इंग्लिश से जो प्यार
काम काज की जगहों पर इंग्लिश बोल इतराते
नमस्कार को त्याग दिया हाउ डू यू डू कह फूले नहीं समाते।

बचपन से ही संजो दिए कॉन्वेंट के सपने
भूल गए हिंदी की लोरी, जैक एंड जिल हुए अपने
ए बी सी डी सिखा रहे भूले अक्षर ज्ञान
मातृ भाषा का बोलो कैसे होगा फिर गुणगान।

माना बहुत जरूरी है सब भाषा का सम्मान
निज भाषा को देना होगा उसका उचित स्थान
जब तक संस्कारों में रोपित कुंठा का नाश न होगा
हिंदी दिवस मनाने का कोई फल न मिलेगा।

कहते हैं भाषा ही होती संस्कृति की पहचान
संस्कृत और हिंदी में बसते हिंद के प्राण
अगर नहीं संभले अब भी देश ना माफ करेगा
भारत भूमि की गौरव गाथा का नाम न कोई लेगा।

आभार – नवीन पहल – १०.०१.२०२३ 😌😌
# हिंदी दिवस प्रतियोगिता हेतु

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3 Comments

Rajeev kumar jha

10-Jan-2023 05:49 PM

बहुत खूब

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शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Gunjan Kamal

10-Jan-2023 02:37 PM

बेहतरीन प्रस्तुति 👏👌🙏🏻

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