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शास्त्री जी !

शास्त्री जी !

जय जवान  और  जय किसान 
शास्त्री   जी    का    नारा   था।
भारत  माता   का   वह   गौरव
जैसे    चाँद   -   सितारा    था।

कुर्ता     धोती     गांधी    टोपी,
मन   भी   उनका   सादा   था।
देश -   प्रेम    और   समरसता
अंदर   से   उनमें   जागा   था।

सन   पैसठ   की   जंग  में  वो
पाक    को   धूल   चटाए   थे।
जग  में  भारत की  ताकत को
देखो     वो       दिखाए     थे।

छोटा  कद  था  पर सोच  बड़ी
न    बाधाओं   से     डरते   थे।
ज्ञान   ज्योति  के  बलबूते   वो
बैरी    से     सीधे    लड़ते   थे।

इतनी बड़ी शख्सियत  को हम
कभी    भुला    नहीं     पायेंगे।
कोटि   कोटि  नमन   है  उनको 
हम   भी     चमन      सजायेंगे।

रामकेश एम यादव (कवि,साहित्यकार),मुंबई

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1 Comments

अदिति झा

12-Jan-2023 04:46 PM

Nice 👍🏼

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