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लेखनी प्रतियोगिता - वास्तविक सौंदर्य

वास्तविक सौंदर्य

सौन्दर्य:- वे गुण जो किसी जीव तथा पदार्थ को इतना आकर्षक बनाएं कि हर कोई स्वतः ही उनकी और खिंचता चला जाए। प्रकृति में उपस्थित प्रत्येक प्राणी में मौजूद रूप, गुण, आकार, वृत्तियां सब किसी न किसी रूप में उसके सौंदर्य को बढ़ाती हैं।
मनुष्य जीवन में सुंदरता केवल बाहरी रूप नहीं अपितु अच्छे स्वभाव से , कोमल हृदय से निर्धारित होती है। जो व्यक्ति दया, करुणा, ममता जैसी भावनाओं से रहित होता है, वो चाहे कितना भी सुंदर क्यों न हो, वास्तविक सौंदर्य से बहुत दूर होता है।

तो क्या हम अपने वास्तविक सौंदर्य को बढ़ा सकते हैं? इसका उत्तर निश्चित ही ' हां ' है। लेकिन कैसे?

आइए आपको कुछ आसान तरीके बताती हूं:-
1. अपने आप को प्रकृति से जोड़ें। जितना ज्यादा हम खुद को पेड़ पौधों के करीब ले जाएंगे, उतना ही हमारे अंदर प्रकृति की सुंदरता को जानने और समझने की प्रवृत्ति विकसित होगी। वास्तविक सुंदरता प्रकृति में छिपी है, प्रकृति से जुड़ने पर हम खुद में अच्छे गुण विकसित कर पाएंगे।

2. खुद के बारे में हमेशा स्पष्ट एवम अच्छा बोलें। जब आप खुद के बारे में अच्छा और स्पष्ट बोलेंगे तो सामने वाला भी आपके बारे में स्पष्टता से सोच पायेंगे।

3. आपने सुना ही होगा," सुने ज्यादा, बोलें कम। ऐसा इसीलिए ताकि आप सुनकर उन्ही चीजों पर गौर करें और बोलें, जिनका कोई महत्व होता है। जो हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव छोड़ सकती हैं। 

4. हम मनुष्य तो गुणों की खान हैं चाहे सद्गुण हो या दुर्गुण। ये गुण ही हमारे अंदर के सौंदर्य को बढ़ाते हैं। संयम, समझ, संवेदना को परिष्कृत कर हम स्वयं के सौंदर्य को बढ़ा सकते हैं।

5. वास्तविक सौंदर्य अपने आप ही हमारे व्यक्तित्व में झलकता है। अपने रहन सहन, हाव भाव और विचारों को निरंतर शुद्ध करते रहने का प्रयास करते रहने से आप देखेंगे कि लोग आपसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते।

ऊपर लिखी गए विचारों से हमारे भीतर छिपा वास्तविक सौंदर्य उभर कर सामने आयेगा और हम खुद को बिलकुल नए रूप में देख पाएंगे।

प्रियंका वर्मा
11/1/23

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