Vipin Bansal

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इश्तहार

⭐ कविता = इश्तहार 


प्यार तो इश्तहार हुआ !
चमड़ी का बाज़ार हुआ !!
लैला-मजनू हीर-राँझा !
जुमलों में शुमार हुआ, !!
ये रिश्ता जो था पावन !
आज क्यों दाग़दार हुआ !!
जिसको हमने प्यार है समझा !
वो चेहरे का किरदार हुआ !!
प्यार तो इश्तहार हुआ !
चमड़ी का बाज़ार हुआ !!

प्यार में हो गई मीरा दीवानी !
जोगन हो गई महलों की रानी !!
भरी सभा में विष है पिलाया !
प्यार ने उसको अमृत बनाया !!
प्यार ही छीने अब ज़िंदगानी !
तुनिषा की देखी सबने कहानी !!
श्रद्धा को टुकड़ो में बटते देखा !
दोधारी ये तलवार हुआ !!
प्यार तो इश्तहार हुआ !
चमड़ी का बाज़ार हुआ !!

पति के जिसने प्राण बचाए !
यम के घर से वापस लाए !!
प्यार के आगे काल भी छोटा !
प्यार ने बदली क़िस्मत रेखा !!
प्रेमी संग अब पति को मारे !
प्यार के देखे रूप निराले !!
प्यार तो अब लिबास हुआ !
फ़ैशन का ये दौर हुआ !!
प्यार तो इश्तहार हुआ !
चमड़ी का बाज़ार हुआ !!

विपिन बंसल

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5 Comments

Mahendra Bhatt

13-Jan-2023 10:41 AM

शानदार

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Swati chourasia

13-Jan-2023 07:13 AM

बहुत ही सुंदर रचना 👌

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बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ लाजवाब लाजवाब

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