नारी-शक्ति
नारी-शक्ति
भारत की नारियाँ
हर वक़्त श्रम हैं करतीं भारत की नारियाँ,
सुख-दुख में संग रहतीं भारत की नारियाँ।
तूफ़ान हो या चाहे अम्नो-सुख़न की बेला-
सम भाव मन में रखतीं भारत की नारियाँ।।
लकड़ी का ले के गट्ठर बाज़ार-हाट जातीं,
रिक्शा से ले के अब तो वो 'ट्रेन'भी चलातीं।
उड़ा के वायु-यान भी फहरा दिया है झंडा-
अरि-दंत खट्टा करतीं भारत की नारियाँ।।
कृषि में पकड़ है उनकी संगीत में,कला में,
तकनीक और औषधि-विज्ञान-जन भला में।
सदियों से ही रही है शुचि सोच-केंद्र नारी-
समयानुकूल ढलतीं भारत की नारियाँ।।
तलवार से,कलम से,शुचि सोच-बुद्धि मन से,
कभी स्नेह से,ममत्व से,शुभ कर्म के मनन से।
इनका नहीं है सानी जग में कोई भी मित्रों-
शर्मो-हया में रहतीं भारत की नारियाँ।।
मीरा इन्हीं में गार्गी, है गौतमी इन्हीं में,
सीता की धर्मिता,सम्मिलित है बस इन्हीं में।
काली का रूप धारे झाँसी की रानी देखो-
हर क्षेत्र में निखरतीं भारत की नारियाँ।।
इनको नमन है करना ढोंएँ भले ये गट्ठर,
लेतीं हैं मुश्किलों से देखो सदा ये टक्कर।
हर हाल में उठातीं परिवार-बोझ-गठरी-
निज कर्म से सँवरतीं भारत की नारियाँ।।
©डॉ0 हरि नाथ मिश्र
9919446372
Mahendra Bhatt
13-Jan-2023 10:38 AM
शानदार
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Abhilasha deshpande
12-Jan-2023 06:08 PM
Great poem sir
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