लेखनी प्रतियोगिता -12-Jan-2023 दो चोर
सिद्धार्थ के जन्मदिन की तारीख आती थी तो सिद्धार्थ के माता-पिता एक सप्ताह पहले बता देते थे। सिद्धार्थ एक सप्ताह पहले ही खुश हो जाता था कि एक सप्ताह बाद उसका जन्मदिन आने वाला है।
सिद्धार्थ के पड़ोस में एक दीपा नाम की लड़की रहती थी। दीपा सिद्धार्थ की सबसे अच्छी दोस्ती थी। सिद्धार्थ दीपा को और आस पड़ोस के बच्चों को एक सप्ताह पहले ही बता देता था कि एक सप्ताह बाद मेरा जन्मदिन आने वाला है। दीपा और बाकी बच्चे सिद्धार्थ के जन्मदिन का आने का बेसब्री से इंतजार करते थे।
जब जन्मदिन का दिन आता था तो सिद्धार्थ उस दिन जल्दी सुबह उठ कर नहा धोकर नए कपड़े पहन कर तैयार हो जाता था। और माता पिता के साथ दोपहर को जन्मदिन का सामान लेने बाजार जाता था। और शाम को धूमधाम से अपना जन्मदिन मनाता था। सिद्धार्थ के पिता जी हर वर्ष सिद्धार्थ के जन्मदिन की फोटो खींचकर एल्बम में लगा देते थे। सिद्धार्थ के लिए जन्मदिन का दिन हमेशा यादगार यादें बन जाता था।
कुछ समय बाद सिद्धार्थ के पिता जी नए शहर में मकान खरीद लेते हैं और इस मकान को बेच देते हैं। सिद्धार्थ बहुत दुखी होता है कि उसका साथ दीपा और आस पड़ोस के बच्चों से छूट गया। सिद्धार्थ के जाने के बाद दीपा को भी बहुत दुख होता है सिद्धार्थ के जाने का।
सिद्धार्थ पढ़ाई पूरी करने के बाद पुलिस में भर्ती हो जाता है। इन दिनों में सिद्धार्थ के माता पिता का भी स्वर्गवास हो जाता है। माता पिता के स्वर्गवास के बाद सिद्धार्थ अपने को बिल्कुल अकेला महसूस करता है।
सिद्धार्थ जब भी पुरानी एल्बम में जन्मदिन के फोटो देखता था तो उसे माता-पिता दीपा और पुराने दोस्तों की पुराने दिनों की बहुत याद आती थी। और अपने पुराने दिनों को याद कर के बहुत दुखी हो जाता था। और मन ही मन सोचता था अब तक तो दीपा की शादी भी हो गई होगी। अपने पुराने दिन जन्मदिन वाले याद करते करते सो जाता था।
सुबह एक दिन जब सिद्धार्थ ड्यूटी जा रहा था तो उसी समय एक सुंदर सी लड़की अपने माता-पिता और छोटे भाई के साथ सिद्धार्थ के पड़ोस में रहने आती है। वह लड़की सिद्धार्थ की पुरानी मित्र दीपा थी। लेकिन सिद्धार्थ दीपा को पहचान नहीं पाता और अपनी मोटरसाइकिल स्टार्ट करके ड्यूटी चला जाता है। सिद्धार्थ का रोज का दिन चार्य था, सुबह जल्दी ड्यूटी जाना और ड्यूटी से रात को देर से आना।
सिद्धार्थ आस पड़ोस में कम ही संबंध रखता था। सिद्धार्थ माता पिता के देहांत के बाद बहुत ही गुमसुम और उदास रहता था। सिद्धार्थ अब अपने जन्मदिन की कभी-कभी तारीख भी भूल जाता था। अब उसने अपना जन्मदिन भी मनाना छोड़ दिया था।
एक दिन रात को दीपा के पड़ोस वाले घर में दो चोर आधी रात को चोरी करने घुस आते हैं। आस-पड़ोस के लोग चोर चोर चिल्लाकर सबको इकट्ठा कर लेते हैं। इस शोर-शराबे से सिद्धार्थ की नींद टूट जाती है। सिद्धार्थ का रोज चोर लफंगों गुंडों से वास्ता पड़ता था क्योंकि वह पुलिस में काम करता था। इसलिए सिद्धार्थ जल्दी से भागकर दोनों चोरों को पकड़कर पुलिस के हवाले कर देता है। चोरों के पकड़े जाने के बाद आस पड़ोस के लोग सिद्धार्थ को बहुत मान सम्मान देते हैं।
दूसरे दिन सिद्धार्थ जब ड्यूटी पहुंच कर अखबार देखता है तो अखबार में उसकी तस्वीर छपी हुई थी। सिद्धार्थ की नजर अखबार की तारीख पर जाती है। वह सिद्धार्थ के जन्मदिन की तारीख थी। सिद्धार्थ तारीख देखकर अपने मन में सोचता है कि आज तो मेरा जन्मदिन है। और अपने बचपन के जन्मदिन के दिनों को याद करके बहुत दुखी होता है। और चुपचाप उदास कुर्सी पर बैठ जाता है।
और उसी समय दीपा सिद्धार्थ के पास आकर खड़ी हो जाती है और सिद्धार्थ से कहती है कि "आज तुम अपने जन्मदिन का केक मुझे नहीं खिलाओगे।"सिद्धार्थ पहले दीपा का चेहरा देखकर उसे पहचानने की कोशिश करता है, फिर पहचान कर खुशी से खड़ा होकर बोलता है "तुम तो मेरे बचपन की मित्र दीपा हो।"सिद्धार्थ दीपा से बहुत उत्साह और खुशी से मिलता है उधर दीपा भी सिद्धार्थ से बहुत खुशी और उत्साह से मिलती है। और उसी समय दीपा सिद्धार्थ को अपने साथ अपने घर ले जाती है और सिद्धार्थ का जन्मदिन उसी तरह मनाती है, जैसे उसके माता-पिता मनाते थे। दीपा की वजह से सिद्धार्थ के पुराने जन्मदिन वाले दिनों की यादें ताजा हो जाती है। और दीपा के परिवार वालों की इजाजत के बाद सिद्धार्थ और दीपा शादी कर लेते हैं। अब उसके जन्मदिन की तारीख उसकी पत्नी दीपा और बेटी रक्षा सिद्धार्थ को याद दिलाते थे।
प्रिशा
04-Feb-2023 08:47 PM
Behtarin rachana
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Rakesh rakesh
13-Jan-2023 11:43 PM
👌👌👌👌🙏
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madhura
13-Jan-2023 03:29 PM
good
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