लेखनी प्रतियोगिता -13-Jan-2023 सहज नारी
सहज नारी
दिल में दर्द का सागर समेटे,जिंदगी की जद्दोजहद से जूझती रीना, पर चेहरे पर मुस्कान लिए निज कर्म पथ पर संघर्षरत रहती।
छोटी सी उम्र में पति के आकस्मिक निधन के बाद वह अंदर से बुरी तरह टूट सी गई थी, परंतु उसके दो बच्चे और वृद्ध सास-ससुर की जिम्मेदारी अब उसी पर आन पड़ी थी। पति की मृत्यु के बाद कोई सहारा देने वाला नहीं था। कुछ ही दिनों में जो जमापूंजी थी,वो भी खर्च हो गयी।
रीना सोचते सोचते बेसुध सी हुई जाती, परन्तु फिर वृद्ध सास ससुर और बच्चों का ख्याल आते ही, खुद को संभाल लेती। पैसे कहां से आएंगे? रीना ने बाहर जाकर कुछ काम तलाशने का सोचा।फिर अगले ही दिन........
घर का काम निपटाकर रीना बाजार की ओर बढ़ी,तो उसकी नजर एक बुटीक पर पड़ी। बुटीक देखते ही रीना के चेहरे पर अचानक मुस्कान बिखर गयी। रीना सिलाई में पारंगत थी। अंदर जाकर रीना ने बुटीक की मालकिन कमला से बात की, और अपनी समस्या बताते हुए अच्छा काम करने का वादा भी किया। इत्तेफाक से उनको एक मददगार की जरूरत भी थी ही, सो उन्होंने रीना को काम पर रख लिया।
काम मिलने पर रीना बहुत खुश हुई,उसे अंधकार में एक रोशनी की किरण प्रस्फुटित होती सी दिखाई दी। वह अगले दिन से काम पर आने का वादा करके घर लौट आई, और यह समाचार सभी को सुनाया। इस खबर से सभी की जान में जान आई।अगली सुबह घर का सारा काम निपटाकर रीना समय से काम पर पहुंची और पूरे सलीके से काम को संभाला। पहले ही दिन के काम से कमला जी प्रसन्न हो गई। और उनकी मेहरबानी रीना की समस्याएं कम होना शुरू हो गई।
कुछ ही दिनों में कमला जी ने रीना को बुटीक का प्रमुख बना दिया। और सारी जिम्मेदारी रीना पर छोड़ दी। परंतु कमला जी को काफी दिन साथ रहने पर भी रीना के आंतरिक दुख का अंदाजा नहीं लगा। वो तो उनको तब पता चला जब रीना की सास के निधन पर वह उसके घर पहुंची।
कमला जी का हृदय रीना के संघर्ष को देख रो पड़ा। उन्होंने अथाह दुख के सागर में डूबी रीना के मुख की मुस्कान के कारण कभी उसके दुख का अंदाजा नहीं लगा पाया।
परंतु उन्होंने रीना की सहजता,कार्य कुशलता और कर्मठता को देखते हुए रीना को बुटीक में 50 प्रतिशत का भागीदार बना दिया। रीना भावविभोर हो कमला जी को दीदी कहकर उनकी गले लग गयी।
आज रीना के दुखों का अंत हो गया है, और वह बहुत खुश है। उसने कमला दी और भगवान का लख लख धन्यवाद किया।
अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
स्व रचित मौलिक व अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।
madhura
14-Jan-2023 03:07 PM
nice
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Gunjan Kamal
14-Jan-2023 09:47 AM
प्रेरक प्रसंग
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Abhinav ji
14-Jan-2023 08:05 AM
Very nice
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