अपनी पीर बताते क्यों

अपनी पीर बताते क्यों
दिल के दाग़ दिखाते क्यों

उम्मीद नहीं लौटेंगे
वरना घर से जाते क्यों

रूठे हैं जो बरसों से
कहने से आ जाते क्यों

वो चुपचाप गए घर से
हम उनको समझाते क्यों

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