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दोहे (पुस्तक)

दोहे(पुस्तक)
पुस्तक संचित ज्ञान की,होती अक्षय कोष।
ज्ञान-लब्ध नर को मिले,सदा सुखद-संतोष।।

होता मन जब भी विकल,देती पुस्तक साथ।
लगता जैसे मित्र आ,चले पकड़ कर हाथ।।

धर्म-नीति-साहित्य का,यह देती है ज्ञान।
उत्तम पुस्तक जो पढ़े, होता वही महान।।

कवि-लेखक-चिंतक सभी,कर निज लेखन-कर्म।
सदा  रुचिर  पुस्तक  रचें, इनका  जो  है  धर्म।।

कालजयी पुस्तक वही,जिसमें ज्ञान अथाह।
पढ़कर जिसको मनुज जग,पाए जीवन-राह।।
           ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
               9919446372

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2 Comments

बहुत खूब

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अदिति झा

15-Jan-2023 07:46 PM

Nice 👍🏼

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