पावन पर्व मकर संक्रांति -14-Jan-2023

प्रतियोगिता

दिनांक 14 जनवरी २०२३
विषय मकर संक्रांति
विधा गीत
शीर्षक पावन पर्व मकर संक्रांति
पावन

गीत

मकर के हो सूर्य दूर भ्रांति  होगी।
तब ही तो मकर संक्रांति होगी ।
1
पुराणों की गाथा और लोकमत की बात है।
देवों का दिन और राक्षसों की रात है।
सागर में इसी दिन मिली गंगा मात है ।
गंगासागर की बुडकी बड़ी विख्यात है ।
देवों के दिन से जग में शान्ती होगी ।
2
सुरसरि हो संगम हो सरिता  स्नान हो।
घृत का हो कंबल का तिल का भी दान हो ।
जप तप हो पूजा हो श्रृद्धा अनुष्ठान हो ।
मिले मोक्ष मानव को निश्चय कल्यान हो।
सुख सारे पाए और श्रांति होगी ।
3
मारने कन्हाई कंस रोहिता पठाई है।
इसी दिन मारने को गोकुल में आई है ।
कर कर के कौतुक उसे मारा कंहाई है।
तब ही खुशी में सबने लोहडी मनाई है।
कभी न किसी को कोई क्लांति होगी ।
4
दान देते हैं खिचडी का खिचडी ही खाते हैं ।
त्यौहार खिचड़ी का मन से मनाते हैं ।
बुड़की में बुडकी  तो सारे लगाते हैं ।
विनोदी विमल गीत बुडकी के  गाते हैं ।
बदलेगा युग -जब क्रांति होगी।
तब ही मकर संक्रांति होगी।

विनोदी महाराजपुरी

   13
6 Comments

बेहतरीन

Reply

अदिति झा

15-Jan-2023 07:41 PM

Nice 👍🏼

Reply

बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति

Reply