लेखनी प्रतियोगिता -15-Jan-2023 संस्कार वहीन मनुष्य
एक-संस्कार विहीन मनुष्य
संस्कार विहीन मनुष्य,
होता नर विहीन,
पशु समान होती जात,
ना होता कोई मान।
संस्कृति को पीछे ढकेलता,
आधुनिकता को अपनाता,
अधूरा ज्ञान अज्ञानता को बढ़ाता,
जीवन में हमेशा पछताता।
परिवार में फैलती अराजकता,
छोटे बड़े का ना होता सम्मान,
मर्यादाओं को रोज लांघते,
फिर भी अपनी शान दिखाते।
समाज में पड़ रहा है प्रभाव,
संस्कार का हो रहा है विनाश,
कैसे होगा देश का विकास,
संस्कृति को करना है निर्माण।
लेखिका
प्रियंका भूतड़ा
Abhinav ji
16-Jan-2023 09:37 AM
Very nice 👍
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Renu
16-Jan-2023 08:33 AM
👍👍🌺
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
16-Jan-2023 06:16 AM
बहुत ही सुंदर सृजन
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