हिंदी कहानियां - भाग 170
आए हो मेरी जिंदगी में तुम बहार बन के
आए हो मेरी जिंदगी में तुम बहार बन के मेरी जिंदगी खुली किताब की तरह थी। उस किताब में लोगों के लिए प्यार और हमदर्दी के सिवा कुछ नहीं था। मैं अपने दोस्तों के लिए कुछ भी कर सकती थी और मेरी इस आदत ने मुझे परेशानी में डाल दिया था। एक वक्त ऐसा भी आया जब मैं बिल्कुल अकेली हो गई थी। मैं उन दिनों 12वीं के एग्जाम की तैयारी कर थी, जब तुम मेरी लाइफ में आए थे। मैं बहुत टूट चुकी थी। हर कोई मुझे बातें सुनाता था, जबकि मेरी कोई गलती नहीं थी। मैं तो बस अपनी दोस्त की जिंदगी बचा रही थी और सबने मुझको ही गलत समझ लिया था। अपनी पर्सनल दुश्मनी निकालने के लिए सभी ने मुझे बेवजह बदनाम करना चाहा। उस वक्त तुमने मेरा हाथ थामकर मुझे सहारा दिया। तुमने मुझे उस मुश्किल दौर से निकाला था। हालांकि, मैं इतनी बार धोखा खा चुकी थी कि मैं तुम पर भी भरोसा नहीं कर पा रही थी। तुम मुझे समझाने की कोशिश करते लेकिन मैं हमेशा तुमसे दूर ही रहती। मुझे बहुत देर बाद अहसास हुआ था तुम्हारे प्यार का। तुम मुझसे कहते थे कि मैं तुम्हारा हाथ कभी नहीं छोड़ूंगा और तुमने ऐसा किया भी। तुम आज भी मेरे साथ हो। तुम्हारे घरवाले जानते हैं कि मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड हूं और बहुत ही जल्द हमारी शादी होने वाली है। तुम मुझे अपने पापा से मिलवाने वाले हो यह सोचकर मैं काफी एक्साइटेड हूं। मैं भी उनसे मिलना चाहती हूं। मेरी जिंदगी में आने के लिए और मुझे अपनाने के लिए तुम्हारा शुक्रिया अमित। आज के दिन मैं तुमसे बस यही कहना चाहती हूं 'आए हो मेरी जिंदगी में तुम बहार बन के'...आई लव यू अमित।