हिंदी कहानियां - भाग 201
रेक्सी का जन्मदिन
रेक्सी का जन्मदिन सबीना इंग्लैंड में रहती थी। वह भारत के बारे में अपने मम्मी-पापा से बचपन से ही सुनती आई थी। वह भारत जाकर घूमना चाहती थी। उसकी मम्मी बताया करती थीं, ‘भारत में सब लोग मिल-जुलकर रहते हैं। सब मिलकर हर त्योहार मनाते हैं।’ वह दिन भी आ गया, जब सबीना को अपनी मौसी के घर भारत आने का मौका मिला। केरल की हरियाली, गोआ के समुद्र, नैनीताल के तालों में मस्ती करके हर दृश्य को वह अपने कैमरे में कैद करती रहती थी। मगर जब वह घूमकर वापस मौसी के घर आई, तो क्या देखती है कि मौसी के पड़ोसी अपनी-अपनी कोठियों में बंद रहते हैं। आसपास में क्या हो रहा है, किसी को कुछ लेना-देना नहीं। मगर भारत के लोगों का आपस में मिलना-जुलना ही तो उसे पसंद था। अब यहां का माहौल उसे काफी खराब लग रहा था। इतने में मौसीजी का प्यारा सा डॉगी रेक्सी सबीना को चाटने-चूमने लगा। सबीना को एक आइडिया आया। उसने मौसीजी से पूछा और अगले दिन शाम को रेक्सी का जन्मदिन मनाने के लिए आसपास के लोगों को बुला लिया। नहाने के बाद तो रेक्सी सफेद बर्फ सा चमक उठा। नहाकर खुशी में कभी यहां कूदता, तो कभी वहां। शाम को रेक्सी की बर्थडे पार्टी में सब बच्चे सुंदर कपड़ों में सजकर आए। पर परेशान थे कि रेक्सी के लिए बर्थडे गिफ्ट क्या लाते। वेे सोचते ही रह गए। तब सबीना दीदी ने बच्चों से कहा, “इस बर्थडे पार्टी का गिफ्ट मुझे लेना है। बोलो दोगे ना।” बच्चों ने हां कहा, तो सबीना ने कहा, “मैं तो परसों इंग्लैंड अपने घर लौट जाऊंगी। तुम प्रॉमिस करो कि हर साल रेक्सी का बर्थडे सब मिलकर मनाओगे।” सबने हां बोला। सबीना इंग्लैंड लौट गई। ठीक एक वर्ष बाद मौसी के पड़ोस में फिर से मेलमिलाप बढ़ाने के लिए उसने रेक्सी के जन्मदिन पर सुंदर ग्रीटिंग कार्ड पोस्ट किया, साथ ही मोहल्ले के बच्चों के लिए रिटर्न गिफ्ट लाने के लिए मौसी से कहा। इस साल भी सब बच्चों ने रेक्सी का बर्थडे बड़ी धूमधाम से मनाया। पर सबीना दीदी की कमी खल रही थी। इतने में मौसीजी ने आईपैड में फेस लाइन लगाया और सामने थी सबीना दीदी। उस चहल-पहल को देख वह बहुत खुश हो रही थी। वह जोर से बोली, “हैप्पी बर्थडे रेक्सी!” रेक्सी ने सबीना दीदी की आवाज सुनी, तो जोर से पूंछ हिलाने लगा। जैसे कह रहा हो, “थैंक्यू दीदी।”