लेखनी प्रतियोगिता -29-August-2023 इज्जत
माता पिता के स्वर्गवास के बाद हरिओम को उसके बड़े भाई अमर सिंह और भाभी विमला ने पाल पोस कर बड़ा किया था। हरिओम पढ़ाई लिखाई में थोड़ा कमजोर था लेकिन उसको दुनियादारी की बहुत अच्छी समझ थी। हरिओम की भाभी अपनी छोटी बहन लाजवंती से हरिओम का विवाह करवा देती है। लाजवंती अपने नाम जैसे ही सीधी-सदी और शर्मीली युवती थी।
बड़े भाई अमर सिंह के दो पुत्र थे, दोनों पुत्र लालची और बेईमान थे। अमर सिंह के निधन के एक वर्ष बाद ही उसकी पत्नी विमला का भी निधन हो जाता है। अपने माता-पिता के स्वर्गवास के बाद दोनों पुत्र चाचा हरिओम कि बिना मर्जी जाने जमीन जायदाद का बंटवारा करते हैं। और बंटवारे में चाचा हरिओम को पुराना टूटा फूटा मकान 15 बीघा बंजर भूमि चार बूढ़ी गाय दस हजार रुपए एक सूखा कुआं पांच आम के पांच अमरूद के पेड़ देते हैं। और खुद दोनों लालची भाई खेती की जमीन हवेली आम अमरूद के बहुत से बाग सौ गाय भैंस सोना चांदी चालीस लख रुपए आपस में बांट लेते हैं।
सबसे पहले हरि ओम और उसकी पत्नी लाजवंती पुराने टूटे-फूटे मकान को रहने लायक बनाते हैं। और अनाज खाने पीने का सामान बाजार से खरीद कर घर लाते हैं। और उनके दस हजार रुपए खर्च हो जाते हैं। हरिओम के सामने सबसे बड़ी समस्या थी, बंजर भूमि को उपजाऊ भूमि बनाना। इसके लिए उसको बहुत से धन की आवश्यकता थी। इस असंभव काम को संभव बनाने के लिए वह अपने दोनों भतीजे से कुछ धन उधार मांगने जाता है।
पहला भतीजा बिना ब्याज पर धन देने की एक शर्त रखता है। और अपने चाचा हरिओम से कहता है की "मेरे साले पर एक जौहरी के घर से हीरे की अंगूठी चोरी करने इल्जाम है। वह चोरी का इल्जाम आप अपने ऊपर ले लो। जो हीरे की अंगूठी जौहरी के घर से उसने चोरी की है, वह अंगूठी मेरा साला आपको दे देगा। आप उस हीरे की अंगूठी को जौहरी को वापस दे देना। मैं और मेरा साला जोहरी को समझा-बुझाकर पुलिस तक बात नहीं पहुंचने देंगे। सिर्फ आपका मेरी ससुराल मे थोड़ा सा अपमान होगा।"
पहले भतीजे की बात सुनने के बाद हरिओम दूसरे भतीजे के पास जाता है। दूसरा भतीजा भी उधार पैसे देने की एक शर्त रखता है। और हरिओम से कहता है कि "पिताजी के पास गांव वालों ने चंदा इकट्ठा करके बहुत सा पैसा जमा करवाया था गांव के पास मंदिर और धर्मशाला बनवाने के लिए। पिताजी की मृत्यु के बाद मैंने वह सारा पैसा एक नाचने वाली को दे दिया। क्योंकि वह मेरे बच्चे की मां बनने वाली थी। और अगर मैं उसे सारा धन नहीं देता तो वह गांव वालों और मेरी पत्नी को सब बता देती। और मेरे खिलाफ पुलिस रिपोर्ट भी करती। गांव के लोग रोज मुझसे पैसे वापस मांगने आते हैं। इसलिए मेरे इस कुकर्म का इल्जाम अगर आप अपने ऊपर ले लो तो मैं आपको पैसे दे दूंगा और वापस भी नहीं लूंगा।"
दोनों भतीजो की शर्त से निराश होकर हरिओम गांव के एक अमीर व्यक्ति के पास कर्ज लेने जाता है। वह अमीर व्यक्ति भी कर्ज के बदले एक शर्त रख देता है कि "अगर तुम्हारी पत्नी एक रात मेरे साथ सो जाए तो मैं तुम्हें बिना ब्याज के कर्ज दे दूंगा। और जब तक तुम्हारे पास पैसे इकट्ठा ना हो जाए तब तक पैसे वापस नहीं देना।"
तीन जगह निराश होकर घर आकर हरिओम अपनी पत्नी को सारी बात बताता है। सारी बात बताने के बाद पत्नी से कहता है की "मैं किसी भी कीमत पर अपना स्वाभिमान नहीं बेच सकता।"
और वह सुबह जल्दी उठकर अपने आम और अमरुद के पेड़ों से आम अमरूद तोड़कर शहर बेचने चला जाता है। शहर में आम अमरूद बेचकर उसे जो पैसे मिलते वह उस पैसों से बूढ़ी गायों के लिए ताकतवर खाने का चारा पत्नी और अपने लिए चावल खरीदना है। दूसरे दिन उसकी पत्नी भी आम अमरूद तोड़ने में हरिओम की मदद करती है। ऐसा करके वह दस पेड़ों के आम अमरूद बेचकर चारों गायों को ताकत और भोजन खिला खिला कर जवान कर देता है। और खुद रोज पत्नी के साथ पानी मिलाकर चावल से अपना पेट भरता था।
चारों गाय एक एक बछिया को जन्म देती हैं। चारों बछिया भी कुछ ही वर्षों में गाय बन जाती हैं। और दूध बेच बेच कर हरिओम उसकी पत्नी बहुत सा धन इकट्ठा कर लेते हैं। उसके बाद हरि ओम बंजर भूमि पर खेती की शुरुआत करता है। तो इतनी अधिक वर्षा होती है कि बंजर भूमि पर खरपतवार उग आत है। हरिओम किराए पर ट्रैक्टर लेकर बंजर भूमि को जोत कर उस भूमि में गन्ने की खेती करता है। अधिक वर्षा होने की वजह से सूखे कुएं की खुद सफाई हो जाती है। और कुआं पानी से लबालब भर जाता है। हरिओम उसमें मछली पाल कर बेचना शुरू कर देता है। हरिओम की अधिक वर्षा होने से सिंचाई की समस्या भी हल हो जाती हैं।
और उसकी गन्ने की फसल गांव में सबसे अच्छी होती है। आम अमरूद के पेड़ आम और अमरूद से लद जाते हैं। गाय का दूध मछली का व्यापार से भी उसे बहुत अधिक लाभ होने लगता है।
सारी समस्याएं और गरीबी दूर होने के बाद वह एक पुत्र का पिता भी बन जाता है। और हरि ओम ईश्वर को धन्यवाद करके पत्नी से कहता है कि "आज मुझे यकीन हो गया की मनुष्य जब अपने स्वाभिमान की रक्षा खुद करता है, तो ईश्वर उसकी मदद अवश्य करता है।"फिर अपनी पत्नी को समझाते हुए कहता है कि "धन इश्क क्रोध लाज ले जाए, स्वाभिमान सम्मान दिलाए।"
Gunjan Kamal
20-Jan-2023 04:58 PM
बेहतरीन
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Babita patel
18-Jan-2023 03:20 PM
osm
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Mahendra Bhatt
17-Jan-2023 10:19 AM
बिल्कुल सही बात
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