Rajeev kumar

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लेखनी कहानी -17-Jan-2023

बादल की आस

उमड़े बादल
पर न बरसे
झमाझम बारिश को
लोग हैं तरसे।
फसलें मूँह बाए
किसान आस लगाए
घनघोर बरसात को
धरती का प्रेम बूलाए।

हरियाली मरणासन्न
फसलों का जीवन
देखे अम्बर का मूँह
झेल सके न अब तपन।

सुख सागर का आधार
मँागे जल की बौछार
हरियाली पा जाए जीवन
हरियाली का हो सपना साकार।

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2 Comments

Babita patel

20-Jan-2023 03:44 PM

nice

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Renu

18-Jan-2023 10:38 AM

👍👍🌺

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