लेखनी कहानी -17-Jan-2023
बादल की आस
उमड़े बादल
पर न बरसे
झमाझम बारिश को
लोग हैं तरसे।
फसलें मूँह बाए
किसान आस लगाए
घनघोर बरसात को
धरती का प्रेम बूलाए।
हरियाली मरणासन्न
फसलों का जीवन
देखे अम्बर का मूँह
झेल सके न अब तपन।
सुख सागर का आधार
मँागे जल की बौछार
हरियाली पा जाए जीवन
हरियाली का हो सपना साकार।
Babita patel
20-Jan-2023 03:44 PM
nice
Reply
Renu
18-Jan-2023 10:38 AM
👍👍🌺
Reply