लेखनी प्रतियोगिता -17-Jan-2023
आ चल मेरे साथी
कुदरत की छांव में
जो खोजा न गया हो
किसी ऐसे गांव में।
जहां पक्षी गीत सुनाते हैं
बहता हो सुंदर जल पावन
जहां स्वर्णिम धूप बरसती हो
और बादल हों जैसे सावन
जो खुशबू से उल्लासित हो
और गीत बजे कोई मनभावन
जहाँ सुबह बनारस जैसी हो
और शाम हो जैसे वृंदावन।
जहां बीते कल की बात न हो
आने वाले पल की बस आहट हो
थोड़ा हो पसीना माथे पर
और होंठों पर मुस्काहट हो
जहां द्वेष का कोई दर न हो
और न ही कोई घबराहट
सन्तोष की शय्या पर सोएं
थोड़े दुख हों थोड़ी राहत
जहाँ दिन में चले तेज पुरवा
और शाम शिथिल पछियांव चले
चल साथी हम उस गाँव चलें
Renu
18-Jan-2023 11:11 AM
👍👍🌺
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Abhinav ji
18-Jan-2023 08:00 AM
Very nice
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Anshumandwivedi426
18-Jan-2023 10:03 AM
Thanks so much
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Swati chourasia
18-Jan-2023 06:23 AM
बहुत ही सुंदर रचना 👌👌
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Anshumandwivedi426
18-Jan-2023 07:17 AM
सहृदय धन्यवाद आभार
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