श्रीराम-मंदिर
श्रीराम-मंदिर
रामालय
बाधा-विघ्न-विवाद-अड़चनों,
का अब छँटा अँधेरा है।
रामालय-निर्माण-दिवस अब-
लाया धवल उजेरा है।।
मात खा गईं सभी बिसातें,
बिछी रहीं जो राहों में।
गंदी चालें चलने वाले,
सब हैं गिरे निगाहों में।
काली रजनी-उदर चीर कर-
निकला नवल सवेरा है।।
मंदिर भव्य-विशाल-निराला,
अनुपम कृति परिचायक है।
शुभकर प्रभु-दर्शन मनभावन,
अति पवित्र सुख-दायक है।
बहुत दिनों के बाद बंधुओं-
लगा आज शुभ फेरा है।।
रामराज-संकेत यही है,
विश्व-शांति-संदेश यही।
भारत-संस्कृति की उदारता,
का निर्मल परिवेश यही।
दिव्य शक्ति का केंद्र रामगृह-
मानव-जाति-चितेरा है।।
त्रेता-युग ने रामचंद्र को,
चौदह वर्ष निकाला था।
कलियुग में भी पाँच शतक तक,
पड़ा दुखों से पाला था।
कर के वापसी ब्रह्म-शक्ति ने-
नव इतिहास उकेरा है।।
नगर अयोध्या पुलकित-हर्षित,
रामलला का दर्शन पा।
अद्भुत शिल्प-भव्य-प्रभु-मंदिर,
दिखे स्वर्ग आकर्षण पा।
सर्व धर्म-समभाव-केंद्र यह-
जन-सेवा का डेरा है।।
रामालय-निर्माण-दिवस यह,लाया धवल उजेरा है।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
Renu
20-Jan-2023 05:13 PM
👍👍🌺
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