Vishal Ramawat

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प्यार का एहसास...

रीना घर का काम कर रही थी तभी इसका फोन बजा फोन उसके पापा का था उसने रीना ने उनको प्रणाम कहां कुछ देर बैठ कर उनसे बात करने लग गई। बातों का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा जिसमें 2 घंटे कब निकल गए उसे पता ही नहीं चला पूरे घर का काम पड़ा हुआ था और वह बस फोन पर बतिया में लगी हुई थी ।


बातों ही बातों में उसे पता चला कि उसके दादाजी की तबीयत खराब है और वह उससे मिलने के लिए बुला रहे हैं रीना भी काफी टाइम से अपने घरवालों से और दादाजी से नहीं मिली थी।


यह है रीना श्रीवास्तव पति के साथ मुंबई में रहती है इनकी शादी को अभी 10 साल हुए हैं इनका एक 7 साल का बेटा है जो अभी स्कूल गया हुआ है । पति प्राइवेट कंपनी में जॉब करता है और थोड़े गुस्सेवाला है। रीना की उम्र अभी 30 साल है कम उम्र में शादी होने की वजह से बहुत ज्यादा पढ़ लिख कर नहीं पाई। बीच कॉलेज में ही घर वालों ने उसकी शादी करवा दी थी इससे उसके कॉलेज की पढ़ाई भी पूरी नहीं हो सकी।


घरवालों से बात करने के बाद रीना फोन चार्ज में लगाती है जो इतनी देर बात करने के कारण डिस चार्ज हो गया था और अब उसे जल्दी से जल्दी काम निपटाना था ।



क्योंकि रोहित किसी भी वक्त घर आ सकता है और उसे आते ही खाना बना कर देना था।


उसने जल्दी से घर में झाड़ू लगाया फिर पोछा लगाकर, नहाने चली गई ।  फिर किचन में जाकर रोहित के लिए खाना बनाने लगी।


कुछ ही देर में रोहित घर आ गया था रीना ने उसे कमरे में जाकर कपड़े बदलने के लिए बोला। उसने अपने कमरे में जाकर बैग रखा और कपड़े बदल कर वापस आया तो तक रीना ने उसके लिए खाना लगाया। रोहित ने खाना खाया और फिर बैठ कर टीवी देखने लगा और रीना वापस किचन में जाकर बाकी का काम करने लगी।


रोहित टीवी देखते देखते ही सो गया, रीना किचन में काम करके जब बाहर आई तब तक शाम हो चुकी थी।  उसने शाम का ब्रेकफास्ट बनाया दोनों ने ब्रेकफास्ट किया और फिर वापस रीना

किचन में जाकर रात के खाने की तैयारियां करने लग गई थी। 

रिना का पूरा दिन ऐसे ही निकलता था सुबह काम करना शुरू कर देती थी और  शाम को काम करते-करते 10:00 से 11:00 बज जाते थे यही उसके रोजाना का काम था।


यह अकेली रीना का ही नहीं उसके जैसी बहुत सी औरतों का ही काम बन कर नहीं गया था वह सुबह उठते ही काम करना शुरू कर करती थी जो सोने तक काम ही काम करते थे उसके अलावा उनकी जिंदगी में और कोई काम ही नहीं था या उन्हें मौका ही नहीं दिया जा रहा था और काम करने का।


कार्तिक  रीना का हस्बैंड एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था शाम को घर आया थोड़ा गुस्से में लग रहा था रीना ने उनके हाथ से बैग लिया और नीचे रखकर उनके लिए पानी लेकर आई। कार्तिक को पानी देकर बोली क्या हुआ आज मूड खराब है आपका सब ठीक तो है ना। कार्तिक उस पर गुस्सा होते हुए बोला पूरे दिन की रिपोर्ट अपने बॉस को दो फिर वही रिपोर्ट घर आकर तुम्हें दो। तुमने मुझे अपना नौकर  समझ के रखा है क्या। मुझे भूख लगी है जाकर खाना लगाओ ज्यादा सवाल जवाब करने की जरूरत नहीं है रीना आंखों में नमी लेकर के चली गई थी।


वह किचन में जाकर खाना गर्म करने लगी और कार्तिक कपड़े बदलने  गया रीना सब्जी गर्म करते-करते सोच रही थी। उसकी गलती क्या थी उसने सिर्फ कार्तिक से नार्मल से सवाल ही तो पूछा था उसमें इतना गुस्सा होने की क्या जरूरत थी फिर उसने खुद को तसल्ली दे दी कि ऑफिस में कुछ बात हो गई होगी उससे गुस्सा होंगे फिर वह उसके लिए खाना लेकर बाहर आई तीनों बैठकर खाना खाया।


खाना खाने के बाद रीना सारे बर्तन उठाकर वापस किचन में जाकर काम करने लग गई रोहित सो चुका था और कार्तिक अपने कमरे में बैठकर मूवी देख रहा था अपने मोबाइल । पूरे दिन काम करने की वजह से रीना थक गई थी वह कमरे में आई और बेड पर लेटी तो कार्तिक ने फोन साइड में रखा रीना की तरफ आया।


रीना को बाहों में लिया तो वह बोली आज नहीं आज मेरा बिल्कुल मन नहीं है शरीर पूरा टूट रहा है बहुत थकान हो रखी है और ऊपर से डेट भी आई हुई है।


कार्तिक बोला तुम्हारा तो यह रोज का बना हुआ है थकी हुई हूं तुम अकेली ही नहीं करती काम मैं भी करता हूं और तुम करती ही क्या हो घर का छोटा मोटा काम करने से कोई नहीं थक सकता और सभी औरतें घर का काम करती है और सब तुम्हारे जैसे नहीं होती। जो पर पति की बात ना माने पति पूरा दिन बैठकर काम करता है और कुछ पल सुकून के घर में मिले तो उसमें भी तुम्हारी ना सुनने को मिलती है । तुम्हारा तो रोज का यही है मन नहीं है तुम्हारा होता कब मन है उसके आगे कुछ नहीं बोल पाई।


रीना ने अपने आप को कार्तिक के सामने आजाद कर दिया कुछ देर कार्तिक अपने सुकून के पल रीना के साथ बिताने लगा या यूं कहें  अपनी जरूरत पूरी करने लगा। जब उसकी जरूरत पूरी हो गई तो वह करवट बदल कर सो गया और रीना आंखों में आंसू लिए एकटक छत को देख रही थी। उसने अपनी गर्दन घुमा कर दूसरी तरफ देखा तो कार्तिक सो चुका था उसने अपने कपड़े सही किए और अपने कर्मों को कोस कर सोने की कोशिश करने लगी। थकान होने की वजह से उसे कुछ ही देर में नींद आ गई और फिर वह गहरी नींद की आगोश में सो गई।


अगले दिन सुबह 6:00 बजे उसकी नींद खुल गई थी वह जल्दी से उठी और रोहित के लिए खान नाश्ता बनाने लगी। उसने उसके लिए नाश्ता बनाया फिर उसको तैयार किया टिफिन पैक किया उसका तब तक कार्तिक भी तैयार होकर आ गया था उसने कार्तिक  के साथ रोहित को स्कूल भेजा फिर रीना किचन में जाकर कार्तिक के लिए टिफिन बनाने लगी।


कार्तिक राहुल को स्कूल छोड़कर वापस आया और किचन के पास आकर उसको बोला रीना 2 मिनट कमरे में आना रीना बोली कल रात को ही तो करवाया था बहुत दर्द है कल से ही तबीयत बिगड़ी हुई है पता तो है तुम्हे। कार्तिक किचन में गया और उसने रीना को एक थप्पड़ खींच कर मारा और बोला जितना कहा है उतना किया करो ज्यादा जुबान चलाने की जरूरत नहीं है और मुझे पता है कितनी खराब है वह रीना को खींचकर कमरे में लेकर गया।


फिर अपनी जरूरत पूरी करने के बाद वो बाथरूम में चला गया। रीना ने अपनी आंखों से बहते आंसू पोछे फिर किचन में जाकर उसके लिए टिफिन पैक करने लगी। कार्तिक के चले जाने के बाद रीना घर का काम करने लगे आज नाश्ते के वक्त कार्तिक को बोल दिया था कि उसे अपने घर जाना है दादा जी की तबीयत खराब है। बैग हम से मिलने के लिए बोल रहे थे। पहले तो कार्तिक ने मना किया क्योंकि वह उसे अकेला कहीं नहीं भेजना चाहता था कि अगर चली गई तो उसकी जरूरत कोन पूरी करवाएगा बहुत बार कहने पर कार्तिक तो सिर्फ 2 दिन के लिए जाने के लिए बोला।


वह बोल कर गया था कि वह बस का टिकट निकाल देगा कल के लिए और तुम 2 दिन में जाकर वापस आ जाना।


रिया ने जल्दी से घर का काम खत्म करने लगे तभी उसके फोन पर एक मैसेज आया जो उसके पति कार्तिक ने भेजा था यह एक टिकट था जो कल शाम को 5 बजे की बस का था। जो परसों सुबह उसे भोपाल पहुंचाएगी उसका परिवार भोपाल में रहते है।


उसने टिकट देखकर पैकिंग करने लग गई काम खत्म करने के बाद उसने रोहित के लिए खाना बनाया। रोहित को खाना खाने खिलाने के बाद फिर खुद खाना खाया । आज का दिन भी निकल गया था कुछ टाइम मिला तो उसने अपनी पैकिंग कर ली।


शाम को जब कार्तिक घर आया तो वह थोड़ा पिया हुआ था उसने नशा किया हुआ था। वह वीक में ऐसा एक बार तो जरूर करता था शनिवार को रविवार की उसकी छुट्टी रहती थी आज भी शनिवार ही था इसलिए वह पीकर आया हुआ था । रोहित के सो जाने के बाद रीना के साथ जबरदस्ती करने लगा यह लगभग रोज का था । उसके मना कारण के बावजूद भी उसके साथ जबरदस्ती करता रहा आखिर जब वह थक गया तो करवट बदल कर चुपचाप सो गया।


देर से सोने की वजह से रीना अभी भी सो रही थी 7  बजे के आसपास कार्तिक नींद खुली पर उसने एक बार फिर से रीना के साथ जबरदस्ती शुरू कर दी । फिर वह अपना काम होने के बाद  बाथरूम की तरफ चला गया और रीना ने खुद के कपड़े सही किए फिर कमरे से बाहर आ गई।


घर का काम खत्म किया आज उसे दर्द हो रहा था क्योंकि डेट की वजह से ओर साथ की ज्यादा blooding  हो रही थी और कार्तिक इस टाइम भी उसके साथ जबरदस्ती कर रहा था इस वजह से उसके पेट वगैरह में दर्द हो रहा था।


दिन में एक बार फिर कार्तिक ने उसके साथ जबरदस्ती की उसको दर्द की वजह से आंखों से आंसू निकल रहे थे पर कार्तिक रुक नहीं रहा था इस वजह से गुस्से में रीना ने कार्तिक को थप्पड़ मारा जिसकी वजह से वह गुस्सा हो गया और उस उसने बदले में कार्तिक ने उसे 4 से 5 थप्पड़ मारा गुस्से से घर से बाहर चला गया।


बस का समय भी हो गया था रीना रोहित को अपना ख्याल रखने का बोलकर 4 बजे घर से निकल गई । बस स्टॉप आधे घंटे की दूरी पर था वह ऑटो से बस स्टॉप पर पहुंची और वहीं बैठकर बस का इंतजार करने लगी बस आधे घंटे लेट थी उसने अपने लिए पानी की बोतल ली और कुछ बिस्किट ले लिए।



5:30 के आसपास बस आई तो वह अपने सामान लेकर बस में चढ़ गई उसने जब कंडक्टर को अपना बस का टिकट बताया तो कंडक्टर ने उसे एक डबल सीटर सीट की तरफ इशारा किया। एक लग्जरी बस जिसकी एक तरफ से सिंगल सीट थी और दूसरी तरफ डबल सीट थी जो पैक थी । बस पहले ही पूर्ण हो चुकी थी इसकी सारी सीटें फुल थी।


रीना की ऊपर वाली सीट थी उसने अपना सामान अपनी सीट रखा और ऊपर जाकर लेट गई।


रीना में इस समय सलवार सूट में थी वह ज्यादातर घर में सलवार सूट की पहनती थी अगर कोई बाहर जाना हो तो साड़ी पहनती थी वरना सूट ही पहनती थी।


अब बस स्टॉप से निकल गई थी वह सोच रही थी कि अभी इस पर कोई न कोई और आएगा ही आएगा और कंडक्टर से इस बारे में पूछना चाहती थी कि यह दूसरी वाली सीट किसके नाम पर है अगर कोई लड़का आया तो उसे कंफर्टेबल फील नहीं होगा। दुआ कर रही थी कि कोई लड़की ही आए।



शादियों का सीजन चल रहा था इस वजह से उसे किसी और बस में सीट मिलना भी मुश्किल था यह भी उसके नसीब से एक सीट खाली मिली वह भी शेयर करने के लिए।


वह अपने फोन में वीडियो देख रही थी घंटे भर के बाद नेक्स्ट स्टॉप पर बस रुकी फिर बस अपने सफर पर वापस निकल गई तभी किसी ने डेट पर नॉक उसने पर्दा हटा कर देखा लड़का खड़ा था जो उसी की उम्र का था।


कंडक्टर उस से बोला कि आपकी सीट है और दोनों की शेयरिंग वाली है वह लड़का रीना की तरफ देख रहा था और रीना भी हैरानी  उसकी तरफ देख रही थी। वह कंडक्टर से बात करने गया रीना सुन रही थी वह उससे बोल रहा था कि और कोई सीट नहीं है क्या बस में इन मैडम जी को कंफर्टेबल फील नहीं होगा मेरे साथ तो कंडक्टर बोला इस बस में कहीं और सीट नहीं है आप दोनों को साथ में ही जाना पड़ेगा । 


थकान हार कर वह लड़का वापस आया और अपनी सीट के पास खड़ा हो गया रीना ने उसको जगह दी तो ऊपर आकर बैठ गया । रीना ने अपने पास लगी हुई लाइट को ऑन कर दिया था उसने तब उसने ध्यान से देखा तो लड़के ने बियर्ड सेट की हुई थी बाल भी अच्छे सेट किए हुए थे।


कुल मिलाकर बंदा बहुत ही स्मार्ट था, रीना उससे नजरे हटा कर वापस अपना फोन लेकर बैठ गई वीडियो देखने लगी। बस उतनी ही तेजी से चल रही थी सफर ऐसे ही जारी रहा दोनों खामोशी के साथ बैठे रहे।


रात के लगभग 8:00 बजे होंगे रीना को कुछ महसूस हुआ तो उसके चेहरे पर पसीना आने लगा उसे ब्लडिंग हो रही थी और वह इस बारे में किसी से कुछ कह भी नहीं सकती थी उसे अभी अपना पैड चेंज करना था पर कैसे समझ में नहीं आ रहा था। उसको ऐसा घबराए हुआ देखकर सामने बैठा हूं लड़का बोला मैडम आप ठीक तो है ना।


रीना उसको बताने में डर रही थी लड़के ने दो तीन बार पूछा तो वह बोली वूमेंस प्रॉब्लम । लड़का समझ गया था वह अपनी सीट से नीचे उतरा और उसने जाकर बस वाले से कुछ बात की कुछ देर बाद बस रुकी तो वह लड़का वापस सीट पर आया और उसने रीना को बोला बस रुक गई है आप जाकर चेंज कर लीजिए।


रीना अपना एक छोटा सा बैग लेकर नीचे उतरी और वॉशरूम की तरह चली गई रात का समय था वह बंदा भी उसके साथ-साथ नीचे उतरा बस के बाहर ही खड़ा था वह कुछ देर में रीना वापस आई तो उसने लड़के को बस के बाहर खड़ा देखा तो उसके चहरे पर मुस्कुराहट आ गई। फिर दोनों वापस आकर अपनी सीट पर बैठगई तो उसके साथ ही वो लड़का भी आकर बैठा।


रीना बोली थैंक्स आज आपने मेरी बहुत मदद की तो लड़का बोला इसमें थैंक्स की कोई बात नहीं है । रीना बोली मेरा नाम है रीना और आपका वह बोला मेरा नाम है सूरज किसी काम से मुंबई आया था अब वापस अपने घर जा रहा हूं।


फिर रीना बोली मैं भी अपने घरवालों से मिलने घर ही जा रही हूं मुंबई में अपनी फैमिली के साथ रहती हूं।


रीना उसके साथ कंफर्टेबल फील कर रही थी दोनों की बातें  शुरू हुई जो चलती रही।


रात को एक जगह बस रुकी तो दोनों उठकर एक साथ बैठकर खाना खाया और फिर वापस बस में आकर बैठे और उन दोनों की बातें वापस शुरू हुई जो सुबह तक चलती रही दोनों में से किसी को भी नींद नहीं आ रही थी वह दोनों एक दूसरे से खुलकर बात कर रहे थे जैसे दोनों ने अपने अंदर की बाते जाने कितनी ही सालों से किसी को नहीं बताई थी।


रीना ने इस एक सफर में उस लड़के के साथ इतनी बातें कर ली जितनी उसने अपने 10 सालों के वैवाहिक जीवन में अपने पति से नहीं की थी या यह कह सकते हैं कि उसने अपने पति से बात ही नहीं की थी। क्योंकि जब भी वह बात करने की कोशिश करती कार्तिक लड़ाई करने पर आ जाता। वह हर बात का गलत ही मतलब होता था यह भी कह सकते है  कार्तिक को रीना गलत ही लगती।


सुबह के 4:00 बज गए थे दोनों की नींद आ रही थी तो दोनों ही बातें करते करते सो गए सोते-सोते दोनों एक दूसरे के पास नजदीक आ गए थे। एक अजनबी के साथ यों लेटने पर अचानक से सट जाने पर एक अनोखा एहसास मन में रोमांच पैदा कर रहा था दोनों को और असहजता ने फिर एक बार दोनों को कस लिया । इस असहजता को दूर करने की कोशिश में रीना थोड़ा किनारे खिसकी और गिरते-गिरते बची, क्योंकि उसकी मजबूत बांहों ने रीना को थाम लिया था " आप अगर अब भी असहज हों तो मैं  पर बैठ जाऊं।" " वह बोला।


रीना मुस्कराई और लेटकर बातों का सिलसिला चल पड़ा। नींद खुली तो रीना उसकी गरमाई आगोश में थी । अचकचाकर उठी तो वो वो भी अचकचा गया। "वो शायद ठंड के कारण..नींद में..सॉरी.." दोनों एक साथ बोले फिर एक साथ हंस पड़े। बस चल पड़ी थी ।  वह बोला "ऐसा क्यों लग रहा है कि हम एक दूसरे को बरसों से जानते हैं?"


शायद इसलिए कि हम एक जैसे हैं। या शायद इसलिए कि हमने इतनी बातें कर ली हैं।  लेकिन तभी कंडक्टर बोला कि भोपाल आने में केवल पंद्रह मिनट बचे हैं, जिसका टिकट  तैयार हो जाओ। बातचीत का सिलसिला अचानक थम गया क्योंकि दोनों को ही लगा कि मन में ऐसा कुछ घुमड़ने लगा है जिसके लिए शब्द नहीं हैं उनके पास । अब बातचीत मनो में ही चलने लगी थी । " कभी-कभी हम बरसों में किसी को इतना नहीं जान पाते जितना एक रात में जान जाते हैं, क्यों?"


"कभी-कभी शिद्दत से की गई कोशिशों भी न किसी के साथ नहीं बंध पाता और कभी-कभी यों ही बंध जाता है, क्यों?" "क्यों मन इस सफर से बाहर नहीं निकलना चाहता?" क्यों मन इस चेहरे से निगाहें हटाने को तैयार नहीं है?" "क्यों.." "क्यों..." "कौन सा विदाई वाक्य बोलूं कि..” “कैसे कहूं, क्या कहूं.." पर दोनों में किसी ने कुछ नहीं कहा। वो रीना को एकटक देखता रहा और रीना धीरे से मुस्कराती रही। दोनों बस से उतरे और अपनी-अपनी राह चल दिए । फिर दो कदम चलकर पलटे और करीब आए। उसने बिना शब्दों के इजाज़त ली और रीना का चेहरा हाथों में लेकर दोनों ने आंखे मिलाई फिर सूरज ने उसके होंठों पर अपने होठ रख दिए कुछ देर दोनों की दुनिया से बेखबर हो गए थे । दोनो अलग गए फिर वे पलटे और अपनी-अपनी राह चल दिए।


आज दोनो के ही चेहरे पर एक अलग सुकून था।


कैसी लगी यह कहानी कॉमेंट करके जरूर बताना।


vishalramawat"सुकून"(जाना)



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14 Comments

प्रिशा

03-Feb-2023 11:01 PM

Behtarin rachana

Reply

अदिति झा

26-Jan-2023 07:59 PM

Nice 👍🏼

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Rajeev kumar jha

23-Jan-2023 05:04 PM

Nice

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