Add To collaction

गीत16-14

गीत16/14

कितनी भी बाधाएँ आएँ,
लक्ष्य-बिंदु तक जाना है।
सप्त सिंधु के पार लक्ष्य यदि,
उसे हमें तो पाना है।।

छोटी सी नौका ही लेकर,
खोज लिया अमरीका को।
कोलंबस था परम साहसी,
जल-पथ सफल तरीका को।
नई राह को खोज हमें भी,
संकट दूर भगाना है।
     लक्ष्य-बिंदु तक जाना है।।

भले ढका नभ हो बादल से,
सरिता बहती मनमानी।
राहों में कंटक बिखरे हों,
पूरा मंज़र तूफ़ानी।
चाहे धुंध चतुर्दिक छाए,
नैया पार लगाना है।।
        लक्ष्य-बिंदु तक जाना है।।

हमको बनना है रवि-किरणें,
तिमिर-असुर जो दूर करे।
सिंधु-उर्मि सी शक्ति हमारी,
सदा मदद भरपूर करे।
भर कर उड़ान आशाओं की,
इच्छित फल को लाना है।।
      लक्ष्य-बिंदु तक जाना है।।

मन में लिए तमन्ना जीना, 
जीवन को सद्गति देता।
कुछ भी नहीं असंभव जग में,
साहस सबकुछ पा  लेता।
धीरज और विवेक भरोसे,
सारा कर्ज़ चुकाना है।।
      लक्ष्य-बिंदु तक जाना है।।
               ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                   9919446372

   7
1 Comments

Renu

20-Jan-2023 06:11 PM

👍👍🌺

Reply