Rakesh rakesh

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लेखनी प्रतियोगिता -21-Jan-2023 सुविचार

सुखविंदर सिंह हॉकी का स्टेट लेवल का मशहूर खिलाड़ी था। उसके जीवन के दो सपने थे, पहला राष्ट्रीय हॉकी टीम के लिए खेलना और दूसरा हॉकी से संन्यास लेने के बाद विदेश की नागरिकता प्राप्त करना। 


वाहेगुरु जी की कृपा से और मेहनत लगन अच्छा खिलाड़ी होने की वजह से हॉकी की राष्ट्रीय टीम में उसे चुन लिया जाता है। विदेश में राष्ट्रीय टीम के साथ हॉकी का मैच खेलने जाने की वजह से विदेश रहने का तो नहीं विदेश के शहर घूमने का उसे मौका मिल जाता है।

 बेटे की खुशी में सब को शामिल करने के लिए सुखविंदर सिंह के बापू जी और बेबे गांव वालों और रिश्तेदारों की बड़ी दावत करते हैं। और इस दावत के बहाने सुखविंदर सिंह की शादी का रिश्ता भी पक्का कर देते हैं। लड़की का नाम रीटा था, लड़की का अंग्रेज लड़की जैसा नाम था, इसलिए वह रीटा से शादी के लिए तैयार हो जाता है।

 विदेश में देश की हॉकी टीम की जीत का सारा श्रेय सुखविंदर को मिलता है। जब वह अपने गांव आता है, तो पहले से ज्यादा खुश बापूजी बेबे और छोटी बहन छोटे भाई को दिखाई देता है। वह रोज गुरुद्वारे जाने लगता है। सुबह से शाम तक  नदी जंगल खेतों में घूमता रहता था। और बापूजी बेबे छोटे भाई बहन गांव के लोगों को पूरा समय देता है। कोई भी त्यौहार किसी भी धर्म का आता था, तो उसे उत्साह खुशी से सबके साथ मिलजुल कर मनाता है।

 दोबारा भी देश की हॉकी टीम विदेश में सुखविंदर सिंह की वजह से विजय होती है। सुखविंदर के बापू जी और बेबे को पता था कि सुखविंदर हॉकी टीम से संन्यास लेने के बाद देश की नागरिकता लेगा कहीं सुखविंदर किसी अंग्रेज लड़की से विवाह ना कर ले, इसलिए वह उसकी जल्दी शादी करवा देते हैं।

 रीटा का नाम ही अंग्रेज लड़कियों जैसा था लेकिन वह अंग्रेज लड़कियों जैसी बिल्कुल भी नहीं थी। वह भारतीय घरेलू सीधी-सादी लड़की थी। शादी की पहली रात रीटा डरते डरते सुखविंदर सिंह से कहती है "सब कहते हैं। आप हॉकी से संन्यास लेने के बाद हमेशा के लिए विदेश में रहोगे।" पत्नी की यह बात सुनकर सुखविंदर सिंह पत्नी के गले लग कर अपनी आंखों से आंसू पहुंच पहुंचने लगता है।

 फिर थोड़ा संभल कर अपनी पत्नी से कहता है "युवावस्था से मेरे दो सपने थे, पहला देश के लिए हॉकी खेलना। दूसरा विदेश की नागरिकता प्राप्त करना। मुझे दो बार राष्ट्रीय टीम के साथ विदेश के बड़े-बड़े शहर घूमने का मौका मिला। विदेश में सारी सुख-सुविधा आसानी से मिल जाती हैं। विदेश के शहर बहुत बड़े बड़े और सुंदर हैं। विदेश की सुबह शाम रात सब बहुत खूबसूरत होती है।

 लेकिन वहां अपने देश जैसे होली दिवाली ईद गुरु नानक जयंती क्रिसमिस डे और छोटे बड़े त्यौहार का मेला नहीं है। अपने देश में नदियां वृक्ष सांप जानवर आदि की पूजा करने के बाद जो सुकून और शांति मिलती है, वह विदेश में नहीं मिल सकती। अपने देश के राष्ट्रीय त्यौहार मनाने में गर्व महसूस होता है। शादी ब्याह जन्मदिन आदि पर सब मिलजुल कर आनंद उठाते हैं। अलग-अलग भाषा वेशभूषा सुख दुख में सब साथ और चरण स्पर्श करने पर बड़े बूढ़ों का आशीर्वाद,  जन्म से मरण तक रीति रिवाज संस्कार सबका साथ, दूसरा अपने देश का इतिहास ऐतिहासिक स्मारक, हिमालय सा पहरी देश की शान ताजमहल, समुद्र खाने में अलग-अलग व्यंजन, मां पिता भाई बहन दोस्त चाचा चाची ताऊ ताई मामा मामी का प्यार और आशीर्वाद, मेरे बचपन की यादें मान सम्मान  मैं जीवन की सारी खुशियां और अपनी मातृभूमि को छोड़कर पत्नी के साथ विदेश में कैसे रह सकता हूं। अपने देश की विशेषताएं महत्व खुशियां तुम्हारी भी तो है, मैं अपने साथ तुम्हारी खुशियां भी कैसे छीन सकता हूं। 

और दोनों को बातें करते करते सुबह हो जाती है।शादी की पहली सुबह सुखविंदर सिंह को फोन पर खुशखबरी मिलती है, कि 26 जनवरी पर देश के राष्ट्रपति उसे खेल के सबसे बड़े सम्मान से सम्मानित करेंगे। यह खुशखबरी सुनने के बाद सुखविंदर सिंह अपने घर के आंगन की मिट्टी को माथे से लाकर चूमता है। विदेश के बड़े-बड़े शहरों की सहर करने के बाद उसके मन में यह सुविचार आता है।

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6 Comments

Rajeev kumar jha

23-Jan-2023 04:54 PM

Nice

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Gunjan Kamal

22-Jan-2023 09:51 AM

बहुत खूब

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