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लकीरें-22-Jan-2023

प्रतियोगिता हेतु
दिनांक: 22/01/2023
लकीरें हाथों की

मैंने कभी अपने हाथों की 
लकीरों को नहीं देखा।
क्योंकि मुझे पता है 
ये हमेशा ऐसी नहीं रहने वाली
ये लकीरें बदलती है।
वक्त के मुताबिक ,
कर्म के मुताबिक,
हालात के मुताबिक,
पर फिर भी इन लकीरों में
छुपा होता है एक डर।
वो जो हम सबको महसूस होता है
कि कहीं हमारी ज़िन्दगी में
जिसे हम चाहते हैं सबसे ज़्यादा
वह हमसे दूर न हो जाए।
कभी हम सोचते हैं इन लकीरों के बारे में
कि हमारी किस्मत में क्या है?
जबकि हम जानते हैं
ये हमेशा नहीं रहने वाली।।
पर फिर भी जो भी हो
लकीरें हमारे हाथों का एक 
बेहद ख़ास हिस्सा होती हैं।।

शाहाना परवीन "शान"...✍️ 

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3 Comments

बिल्कुल सही

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Renu

23-Jan-2023 08:46 AM

👍👍🌺

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Swati chourasia

22-Jan-2023 04:42 PM

Very nice

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